
हिमाचल प्रदेश सरकार के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने वियतनाम के प्रमुख औद्योगिक प्रतिनिधियों एवं निवेशकों के साथ भारतीय दूतावास,हनोई (वियतनाम)में एक संवाद सत्र आयोजित किया।इस सत्र का उद्देश्य दोनों देशों के बीच औद्योगिक सहयोग,निवेश और तकनीकी साझेदारी को बढ़ावा देना था।कार्यक्रम की शुरुआत में भारतीय दूतावास,वियतनाम की उप मिशन प्रमुख सुश्री टाको अजुंगला जामिर,आईएफएस ने हिमाचल प्रदेश के प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया।उन्होंने कहा कि भारत और वियतनाम दोनों तीव्र गति से प्रगति कर रहे हैं और हिमाचल प्रदेश में निवेश के असीम अवसर वियतनामी उद्योगों के लिए आकर्षक संभावनाएँ प्रस्तुत करते हैं।प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने किया।उनके साथ विधायक अनिल शर्मा (मंडी)भवानी सिंह पठानिया (फतेहपुर)और हरदीप सिंह बावा (नालागढ़) उपस्थित रहे। प्रतिनिधिमंडल में आर.डी.नज़ीम,आईएएस,अतिरिक्त मुख्य सचिव (उद्योग) तथा उद्योग विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे।श्री आर.डी.नाज़ीम ने प्रस्तुति के माध्यम से राज्य में पर्यटन,वेलनेस,लॉजिस्टिक्स,इलेक्ट्रिक वाहन,खाद्य प्रसंस्करण और औषधि निर्माण जैसे क्षेत्रों में निवेश की संभावनाओं का विस्तारपूर्वक उल्लेख किया।उन्होंने कहा कि भारत और वियतनाम दोनों ही 2045–47 तक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर हैं,और औद्योगिक सहयोग इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।इस अवसर पर उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि राज्य सरकार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में हरित औद्योगिकीकरण और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा दे रही है।उन्होंने वियतनामी उद्योगों को हिमाचल प्रदेश में आयोजित होने वाली रिवर्स बायर–सेलर मीट (RBSM) में भाग लेने का आमंत्रण भी दिया।उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि हम हिमाचल प्रदेश को निवेश के लिए स्थिर,पारदर्शी और निवेशक-अनुकूल राज्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।वियतनामी उद्योगों को यहां के अवसरों का प्रत्यक्ष अनुभव करने के लिए आमंत्रित किया जाता हैबैठक में वियतनाम की कई प्रमुख औद्योगिक संस्थाओं वियतनाम एसोसिएशन ऑफ मैकेनिकल इंडस्ट्री इंडियन बिजनेस चैम्बर वियतनाम चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ,टी एंड टी ग्रुप,सोविको ग्रुप तथा वियतजेट एयर के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।सत्र के अंत में भारतीय दूतावास द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया तथा दोनों देशों के बीच निवेश,व्यापार और प्रौद्योगिकी सहयोग को दीर्घकालिक रूप से सुदृढ़ करने की प्रतिबद्धता दोहराई गई।