
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन प्रदेशभर के पेंशनरों ने अपनी मांगों को लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।हजारों की संख्या में पेंशनर शुक्रवार दोपहर जोरावर स्टेडियम में इकट्ठा हुए और फिर वह विधानसभा परिसर की ओर कूच करने के लिए निकल पड़े।उनकी मुख्य मांगों में मेडिकल भत्ता,ईपीएफ और अन्य भत्तों का भुगतान करना था,जो कांग्रेस सरकार ने नहीं दिए।इस बीच पुलिस और पेंशनरों के बीच धक्कामुक्की भी हो गई।दोपहर बाद करीब दो बजे से पेंशनर सड़क पर बैठ गए और शाम पांच बजे तक प्रदर्शन करते रहे।पेंशनरों ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें 5 दिसंबर तक नहीं मानी जातीं तो वह विधानसभा परिसर के बाहर आत्मदाह करेंगे।पेंशनरों ने जैसे ही जोरावर स्टेडियम से आगे बढ़ना शुरू किया,पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की।इस बीच गुस्साए पेंशनरों ने चक्का जाम कर दिया और विधानसभा जाने के लिए अड़े रहे।

जैसे ही पेंशनरों ने जोरावर स्टेडियम में चक्का जाम किया,कुछ ही देर बाद पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर सहित भाजपा के विधायक विपिन परमार,सुधीर शर्मा और पवन काजल अपनी गाड़ियों में फंस गए।पेंशनर इनकी गाड़ियों के आगे बैठ गए और पूर्व और वर्तमान सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।विरोध के चलते जयराम की गाड़ी भी 40 मिनट तक फंस गई।जयराम ने पेंशनरों से बातचीत की और अपनी बात रखने की कोशिश की,लेकिन पेंशनरों का गुस्सा शांत नहीं हुआ।जयराम ने पेंशनरों से कहा कि भाजपा ने भी विधानसभा में इन मुद्दों को उठाया था और उनकी बातों को सरकार तक पहुंचाया था।सड़क पर जाम और धरना जारी रहने के बाद एडीएम शिल्पी बेक्टा और एएसपी बीर बहादुर समेत अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे।इन अधिकारियों ने विभिन्न पेंशनर संगठनों के प्रतिनिधियों से बातचीत की और 18 पेंशनर संगठनों के लगभग 36 प्रतिनिधियों को विधानसभा परिसर में जाने की अनुमति दी।इसके बाद अन्य पेंशनर बाहर सड़क पर बैठे रहे।

सीएम ने पैंशनर्ज की बात सुनी और आश्वासन दिया कि विधानसभा सत्र समाप्त होने के एक सप्ताह के भीतर पैंशनर्ज की जेसीसी मीटिंग बुलाई जाएगी।इस आश्वासन के बाद पैंशनर्ज का गुस्सा कुछ हद तक शांत हुआ।
