
प्रथम नवंबर 1966 को पंजाब राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश पर पंजाब के जिला कांगड़ा,हमीरपुर,ऊना तथा लाहौल स्पीति के क्षेत्र हिमाचल प्रदेश में शामिल किए गए। इस प्रथम नवंबर,1966 को अमर रखने की आशा से भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा प्रतिवर्ष 1 नवंबर को पहाड़ी दिवस का आयोजन किया जाता है।इस वर्ष 1 नवंबर को राज्य स्तरीय पहाड़ी दिवस का आयोजन गोविंद वल्लभ पंत राजकीय महाविद्यालय रामपुर,शिमला,हिमाचल प्रदेश में किया गया।कार्यक्रम का उद्घाटन नंदलाल अध्यक्ष,7वां राज्य वित्त आयोग,हिमाचल प्रदेश एवं विधायक रामपुर विधानसभा क्षेत्र,जिला शिमला द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया,कार्यक्रम के प्रथम सत्र में सर्वप्रथम राजकीय महाविद्यालय,रामपुर के छात्र-छात्राओं ने बुशहरी नाटी की प्रस्तुति दी तत्पश्चात डॉक्टर विजय कुमार स्टोक्स ने “हिमाचल की लुप्त होती सांस्कृतिक विरासत”पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया गया,जिसमें मुख्य रूप से क्षेत्र क्षेत्रीय बोलियों,लोक संगीत लोक नृत्य,लोक वाद्य यंत्रों पर प्रकाश डाला गया।

प्रथम सत्र की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश के जाने-माने विद्वान डॉक्टर सूरत ठाकुर ने की,जिनका हिमाचल प्रदेश की लोक संस्कृति को सहेजने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में सर्वप्रथम राजकीय,महाविद्यालय रामपुर के छात्र ने कुल्लवी नाटी की प्रस्तुति दी उसके पश्चात् पहाड़ी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया,जिसमें प्रदेश भर से आए कवियों ने अपने कविता पाठ किया।पहाड़ी कवि सम्मेलन में सुरेंद्र मिन्हास,बाबूराम धीमान,प्रेम पाल आर्य,पल्लवी,दोत राम पहाड़िया,हीरालाल ठाकुर,डॉक्टर राकेश कपूर,कृष्ण चंद्र महादेवीया,भीम सिंह, विनोद गुलेरिया,जाह्नवी,राम भगत,चंद्र चीला नेगी,हितेंद्र शर्मा,दीपक शर्मा रविंद्र कुमार शर्मा,रविंद्र साथी,अरुण डोगरा रितु,अशोक कालिया,राजपाल कुतलेहड़िया,हेमंत अत्री,दीपक शर्मा,नरेंद्र कुमार शर्मा,वेद प्रकाश शर्मा,कृष्णा देवी वर्मा,कल्पना गंगटा,उमा ठाकुर,प्रमोद कुमार हर्ष,वंदना राणा,शिवानी इत्यादि कवियों ने अपने कविता का पाठ किया।

कार्यक्रम के द्वितीय सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार शक्ति चंद्र राणा द्वारा की गई।पहाड़ी दिवस के अवसर पर हिमाचल कला संस्कृति अकादमी द्वारा पुस्तक प्रदर्शनी और राज्य अभिलेखागार द्वारा ऐतिहासिक अभिलेखागार द्वारा ऐतिहासिक एवं दुर्लभ अभिलेखों के प्रदर्शनी भी लगाई गई ।कार्यक्रम के प्रथम सत्र का मंच संचालन कुसुम संघाइक्,उपनिदेशक,भाषा संस्कृत विभाग तथा दूसरे सत्र का मंच संचालन मदन हिमाचली द्वारा किया गया।कार्यक्रम में सहायक निदेशक सुरेश राणा, मोहन ठाकुर,सुनीला ठाकुर भी उपस्थित रहे।
