
हिमाचल के वन आच्छंदित क्षेत्रों को विस्तार प्रदान करने और पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत प्रदेश सरकार निरंतर प्राथमिकता से कार्य कर रही है।प्रदेश सरकार ने शिमला नियोजन क्षेत्र के अंतर्गत शिमला शहर और उप नगरों के लिए शिमला विकास योजना में संशोधन किया है।मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार शिमला के सतत विकास के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है।सरकार की इस पहल से भूमि कटाव को कम करने और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करने में सहायता मिलेगी।शिमला विकास योजना 2041 के अंतर्गत हरित क्षेत्र में आवासीय निर्माण को नियोजित किया जाएगा।इसके तहत वृक्ष रहित भूखंडों पर ही निर्माण कार्यों की अनुमति प्रदान की जाएगी। हरे या सूखे पेड़ों वाली भूमि को हरित भूखंड के रूप में नामित किया जाएगा, जिस पर निर्माण कार्यांे पर रोक रहेगी।वर्तमान में ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में बाई-पास और कार्ट रोड़, नाभा वन,फागली और लालपानी वन,बेम्लोई वन,हिमलैंड वन,खलीनी और छोटा शिमला वन क्षेत्र तथा कई अन्य क्षेत्र शामिल हैं।इसके अतिरिक्त ग्रीन बेल्ट के अंतर्गत नए क्षेत्रों में रिट्रीट,मशोबरा बंद,टुकदा आंदरी,शिव मंदिर आंदरी,ताल और गिरी,डीपीएफ खलीनी,बीसीएस मिस्ट चैम्बर और परिमहल को शामिल किया गया है।मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार की इस पहल का लक्ष्य शिमला के नैसर्गिक सौंदर्य को संरक्षित रखना है और आने वाली पीढ़ी के लिए हरा भरा भविष्य सुरक्षित रखना है।उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य कर सतत विकास को अधिमान दिया जा रहा है।हिमाचल भौगोलिक दृष्टि से संवेदनशील राज्य है।इसके दृष्टिगत प्रदेश सरकार अवैध निर्माण पर रोक लगाकर शिमला में नियोजित निर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है,ताकि शिमला का प्राकृतिक सौंदर्य बरकरार रहे और अधिक से अधिक संख्या में पर्यटक शिमला की ओर रूख करें।शिमला का हरित आवरण शिमला शहर सहित उत्तर भारत को प्राण वायु प्रदान करता है।हरे भरे क्षेत्र तापमान को नियंत्रित करने का कार्य करते हैं।शिमला के हरित क्षेत्र में वृद्धि कर प्रदेश सरकार पर्यावरण संरक्षण और यहां भ्रमण के लिए आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ाने की दिशा में भी कार्य कर रही है,ताकि वह यात्रा का अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त कर सकें।
