
प्रदेश के वरिष्ठ कवि कुल राजीव पंत के पहले कविता संग्रह “पृथ्वी किताबें नहीं पढ़ती”का शिमला के गेयटी कॉन्फ्रेंस हॉल में विमोचन समारोह आयोजित किया गया।लोकार्पण समारोह शिमला की सुपरिचित साहित्यिक संस्था कीकली ट्रस्ट के सौजन्य से आयोजित किया गया।इस समारोह में वरिष्ठ कवि,आलोचक प्रो.कुमार कृष्ण मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए जबकि भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत अधिकारी और वरिष्ठ लेखक श्रीयुत श्रीनिवास जोशी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।

पुस्तक पर सुपरिचित साहित्यकारों प्रो.मीनाक्षी एफ.पॉल,डॉ.विद्यानिधि छाबड़ा और आत्मा रंजन ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए।श्रीयुत श्रीनिवास जोशी ने कुल राजीव पंत की छोटी कविताओं को विशेष रूप से रेखांकित किया और इन्हें श्रेष्ठ कविताएं बताया,प्रो.कुमार कृष्ण ने कवि की लंबी रचना यात्रा को स्मरण करते हुए कहा कि इन कविताओं में दशकों की सृजन यात्रा का अनुभव और ताप समाया हुआ है।

उन्होंने संग्रह की ‘बादल’शीर्षक कविता को पिछले अनेक वर्षों में लिखी गई श्रेष्ठ प्रेम कविता बताया,मीनाक्षी एफ.पॉल ने विश्व कविताओं से उदहारण देकर इन कविताओं में पारिस्थितिकी और पर्यावरण की चिंताओं को रेखांकित किया,आत्मा रंजन ने इन कविताओं को कथ्य और कहन के स्तर पर विलक्षण बताते हुए जल,जंगल,ज़मीन की सामयिक चिंताओं और प्रश्नों को सशक्त ढंग से उठती कविताएं बताया और स्मृति,यथार्थ और स्वप्न के मनुष्यता के पक्षधर तत्वों को समेटती कविताएं कहा।कीकली चेरिटेबल ट्रस्ट की अध्यक्ष वंदना भागड़ा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और कीकली ट्रस्ट की गतिविधियों की भी जानकारी दी।

कार्यक्रम का सफल संचालन कवि आलोचक डॉ.सत्यनारायण स्नेही ने किया।इस लोकार्पण समारोह में शिमला और प्रदेश के अन्य क्षेत्रों से पधारे लगभग सत्तर लेखकों और सांस्कृतिकर्मियों ने भाग लिया,जिनमें सुदर्शन वशिष्ठ,सतीश रत्न,गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय,देवेंद्र धर,सुमित राज वशिष्ट,सुरेश शांडिल्य,मोहन साहिल,दिनेश शर्मा,कुल राकेश पंत,इन्द्र ठाकुर,भूप सिंह रंजन,ओम प्रकाश शर्मा,विनोद भारद्वाज,संजय शर्मा,मनमोहन सिंह,रत्नचंद निर्झर,रोशन जसवाल,डॉ.नरेंद्र शर्मा,नरेश देयोग,जगदीश बाली,कौमुदी ढल,हीरामणि शर्मा, प्रभा शर्मा,राधा सिंह,वीरेंद्र शर्मा,गरिमा,प्रियंका भारद्वाज, लोकेश उनियाल,प्राची पंत,गुलपाल वर्मा,सीताराम शर्मा,डॉ.दिनेश दत्त शर्मा,एस.आर.रंजन,अश्वनी कुमार,इंदु परिहार,सतीश कुमार,अर्चना पंत,चंद्रशेखर शर्मा,नरेंद्र नारायण शर्मा,विनोद अमर,आभी,हेमानंद,दिनेश शर्मा,कुंदन शर्मा आदि शामिल रहे।

हि.प्र.विश्वविद्यालय से पुस्तकालयाध्यक्ष पद से सेवानिवृत कुल राजीव पंत करीब चार दशकों से कविता लेखन में सक्रिय रहे हैं,विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र–पत्रिकाओं में इनकी कविताएं प्रकाशित होती रही हैं।लेकिन पुस्तक रूप में यह उनकी पहली कृति है।यह कविता संग्रह प्रकाशन संस्थान दिल्ली से प्रकाशित हुआ है।
