हरोली कांग्रेस की बैठक भदौड़ी में आयोजित की गई इस बैठक में आस्था अग्निहोत्री मंच पर जब अपना संबोधन देने पहुंची तो माहौल भावुकता पूर्ण हो गया।आस्था अग्निहोत्री भी नम आंखों के साथ थरथराते शब्दों के बीच अपनी बात को लंबा नहीं कर पाई।आस्था अग्निहोत्री ने कहा कि ऐसी बैठकों में व कार्यक्रमों में मैं कभी भी माँ के बिना नहीं गई,पहली बार है कि हरोली की इस बैठक में मां के बिना आ रही हूं।आस्था अग्निहोत्री ने कहा कि करवा चौथ के कार्यक्रम में मां सिम्मी अग्निहोत्री ने जो शब्द कहे कि मेरा मायका भी यही हरोली,ससुराल भी है,घर भी यह,परिवार भी है और अंतिम सांस भी हरोली में लूं यही तम्मना।क्या पता था कि उनके वह शब्द ऐसे सच होकर के सामने आ जाएंगे,उनकी बात को हम समझ ही नहीं पाए?गंभीरता से नहीं ले पाए?आस्था अग्निहोत्री ने कहा कि मां सिम्मी अग्निहोत्री ने जज्बे के साथ काम किया,उनके मन में पीड़ा रहती थी,हरोली के लिए दर्द रहता था,हर काम हो इसके लिए वह चिंतित रहती थी,मैंने करीब से देखा है।उन्होंने कहा कि अभी भी लोकसभा चुनावों को देखते हुए वह आई।मां का जागरण रखा,जागरण हो नहीं पाया वह पहले हमें छोड़ कर चली गई।

आस्था अग्निहोत्री ने कहा कि उनकी मोक्ष की प्राप्ति के लिए पैदल यात्रा की,छठी कक्षा से लेकर हर वर्ग,हर उम्र के हरोली वासियों ने जिस प्रकार से इस यात्रा में अपनी सहभागिता दी, मॉ सिम्मीअग्निहोत्री के प्रति अपने स्नेह को दिखाया,मैं उसके लिए आप सब की ऋणी रहूंगी,आस्था अग्निहोत्री ने कहा कि मेरे पिता मुकेश अग्निहोत्री की जो आज प्रदेश व देश में पहचान है उसके पीछे मेरी मां का समर्पण है।उन्होंने कहा कि हरोलीवासी इस समय हमारी ताकत बने,स्नेह दिया।उन्होंने कहा कि मैं प्रयास करूंगी की मां जैसा संयम व मां जैसी बनने का प्रयास करूंगी।उन्होंने कहा कि आप सब हरोली वासी हमारे पास आते रहे आप सबका मान सम्मान बना रहेगा।

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