जागृति ठाकुर को प्रथम,सानिध्य शर्मा को द्वितीय, रितिका चम्बयाल को तृतीय पुरस्कार

Himachal Pradesh विधिक अध्ययन संस्थान द्वारा आयोजित राष्ट्रीय युवा संसद का समापन हो गया।समापन समारोह के मुख्य अतिथि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य ने युवा सांसदों को प्रोत्साहित किया और कहा कि आप सभी को अपनी ऊर्जा का उपयोग सकारात्मक तरीके से देश के उत्थान में करना चाहिए और संविधान निर्माताओं के सपनों को साकार करने की दिशा में काम करना चाहिए।समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो.राजिंद्र वर्मा ने राष्ट्रीय युवा संसद कार्यक्रम सफलता पूर्वक आयोजित करवाने के लिए विधिक अध्ययन संस्थान की सराहना की और सभी विजेताओं एवं प्रतिभागियों को बधई दी।इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के एडवोकेट जनरल अनूप रत्तन ने कहा कि हम भारतियों की साथ में रहने की संस्कृति बहुत पुरानी है। हमे ये देखना है कि समान नागरिक सहिता जैसे प्रावधान हमारी उस संस्कृति एवं निजि अधिकारों को कैसे प्रभावित करेगी।संस्थान के निदेशक प्रो.शिव कुमार डोगरा ने बताया कि ऐसे कार्यक्रम कानून के विद्यार्थियों के लिए विशेष महत्त्व रखते हैं और संस्थान के लिए हर्ष का विषय है कि संस्थान के ऐसा कार्यक्रम आयोजित करने का अवसर प्राप्त हुआ है। इस दौरान कार्यक्रम की संयोजिका डॉ.संयोगिता,अन्य शिक्षक एवं सभी छात्र मौजूद रहे।

युवा संसद की कार्यवाई
राष्ट्रीय युवा संसद की चली दो दिन की कार्यवाई में सत्ता पक्ष और विपक्ष ने समान नागरिक संहिता पर गर्मजोशी के साथ चर्चा की और पक्ष-विपक्ष की नोक झोंक के बीच समान नागरिक संहिता पर विधेयक पारित किया गया।संसद की कार्यवाई के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच पैदा हुई घमासान की स्थिति को नियंत्रण करने के लिए माननीय स्पीकर को कुछ सदस्यों को चेतावनी भी जारी करनी पड़ी।संसद की कार्यवाई में हिस्सा लेते हुए विपक्षी सांसद ने संदेह व्यक्त किया कि समान नागरिक संहिता से संस्कृतिक पहचान को खतरा पैदा हो जाएगा।विपक्षी सासंद के इस संदेह पर प्रधानमंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता समाज में एकता का भाव पैदा करेगा और यह समाज सुधार की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।यह किसी भी सूरत में किसी भी संस्कृति के लिए कोई खतरा नहीं है।प्रधानमंत्री के वक्तव्य पर विपक्षी सांसद ने प्रधानमंत्री से पूछा कि यदि समान नागिर संहिता इतनी ही आवश्यक था तो यह अभी तक सविंधान के नीती निर्देशक सिद्धांतों तक ही सीमित क्यों है।इसके जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि वह आपकी ही सरकार थी जिसने आजादी से लेकर आज तक समान नागरिक संहिता को लागू नहीं किया।एक विपक्षी सांसद ने छत्तीसगढ़ की एक जनजाती का अदाहरण देते हुए सत्ता पक्ष से पूछा कि छत्तीसगढ़ की इस जनजाती में माता की सारी संपत्ति पर सिर्फ बेटियों का अधिकार होता है तो इस प्रता में बुरा क्या है।इसके जवाब में अल्पसंख्यक मामले मंत्री ने कहा कि ऐसी कोई भी प्रथा जो किसी एक ही जैंडर को संपत्ति का अधिकार देती हो समानता के सिद्धांत के विपरीत है।

*समान नागिरक संहिता पर पैनल डिसकशन *

राष्ट्रीय युवा संसद के दौरान समान नागिरक संहिता पर पैनल डिसकशन भी हुआ।सीनियर एडवोकेट एवं हि.प्र.बार कांउसिल एसोसिएशन के अध्यक्ष अंकुश दास सूद ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि समान नागिर सहिंता अवश्यंभावी है।इसका समय अब आ चुका है।यह कानून लैंगिक समानता जैसे महत्वपूर्ण एवं गंभीर सवालों पर बात करता है।चर्चा को आगे बठाते हुए पंजाब विश्विद्यालय के विधि विभाग के चैयरमैन प्रो.देविंद्र सिंह ने कहा कि समान नागिर संहिता पर कानून बनना एक तार्किक पहल होगी।उन्होंने कहा कि अब हमारा समाज इस तरह के कानून के लिए तैयार है।इस कानून को लागू करने का इससे बेहतर समय और कोई नहीं हो सकता।समान नागिरक संहिता देश की सामाजिक एवं सांस्कृतिक विविधता को किस तरह से प्रभावित करेगा और जनजातियों अधिकारों का कैसे संरक्षण किया जाएगा जैसे अहम पहलुओं पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए हि.प्र.उच्च न्यायालय के एडवोकेट बलवंत सिंह ने कहा कि इन सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार के बाद ही समान नागिरक सहिंता जैसे महत्वपूर्ण मसले पर आगे बढ़ना चाहिए।पैनल डिसकशन के दौरान अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो.श्यामलाल कौशल और संस्थान के निदेशक प्रो.शिव कुमार डोगरा भी मौजूद रहे।पैनल डिसकशन का संचाल हिंदुस्तान टाइम्स के वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र वसुदेवा ने किया।

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