बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख नेता मायावती ने कहा कि दलित और अल्पसंख्यक लोग पांच-पांच साल कांग्रेस और भाजपा को वोट देकर उनकी सरकार बना रहे हैं।लेकिन इससे उनकी कोई समस्या कम नहीं होने वाली है।जब तक वे मजबूती के साथ अपनी सरकार नहीं बनाएंगे,तब तक उनकी मुसीबतें कम नहीं होने वाली हैं।उन्होंने इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन ईवीएम) की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाए।मायावती बरोटीवाला में जनसभा को संबोधित कर रही थीं।अपने बीस मिनट के भाषण में उन्होंने कहा कि कांशी राम ने हिमाचल में पार्टी को खड़ा करने के प्रयास किए थे।लेकिन हिमाचल में जिस रफ्तार से यह पार्टी आगे बढ़नी थी,वह नहीं बढ़ पाई।हिमाचल के दलित,अल्पसंख्यक और गरीब तबका हर वर्ष प्रदेश में पूरे पांच साल तक कांग्रेस और दूसरे पांच साल तक भाजपा को कोसता रहता है।लेकिन जब तक वह अपने दम पर यूपी की तर्ज पर मजबूत सरकार नहीं बना पाएंगे,तब तक उनकी समस्याएं कम नहीं होंगी।उन्होंने कार्यकर्ताओं से आग्रह किया है कि कांग्रेस और भाजपा को वोट देने के बजाय बसपा के प्रत्याशी को जिताएं।अगर उनकी सरकार होगी तो किसी के आगे हाथ फैलाने नहीं जाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पहले बेल्ट पेपर से वोट डलते थे। उसमें गड़बड़ी होने की कम आशंका थी।लेकिन जबसे इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन का प्रचलन हुआ,तब से उनकी यूपी में भी सरकार नहीं बन रही है। लोग वोट तो डालते हैं लेकिन मशीनों में गड़बड़ी होने से बसपा के प्रत्याशी पिछड़ रहे हैं।उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा पूंजीपतियों की सरकार है।पूंजीपतियों की आर्थिक मदद से ये सरकारें बनती हैं और बाद में इन पूंजीपतियों का साथ देती हैं।

“घोषणा पत्र में नहीं,काम में विश्वास करती है बसपा”
मायावती ने कहा कि वह अन्य दलों की तर्ज पर घोषणा पत्र में विश्वास नहीं करती हैं।वह सिर्फ काम में ही विश्वास करती हैं।यूपी में चार बार सरकार बनाई लेकिन कभी घोषणा पत्र जारी नहीं किया।

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