प्रसिद्ध एक्टर यशपाल शर्मा ने देहरादून की साहित्यिक मासिक पत्रिका कविकुंभ और बीइंग वुमन संस्था की ओर से शिमला के गेयटी थियेटर में आयोजित शब्दोत्सव समारोह में पच्चीस प्रतिभाशाली महिलाओं को स्वयंसिद्धा सम्मान प्रदान किये ।इनमें इनकी धर्मपत्नी व एक्ट्रेस प्रतिभा सुमन भी एक थीं,यशपाल ने इस कार्यक्रम और संस्था के प्रयास की खूब प्रशंसा की।

इससे पूर्व उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रसिद्ध कवि लीलाधर जगूडी ने कहा कि जो लेखक अस्वीकृति का दंश नहीं झेलते वे कभी सफल लेखक नहीं बन पाते,उनका संकेत सोशल मीडिया के लेखकों की ओर था क्योंकि सोशल मीडिया पर कोई संपादक या प्रूफ रीडर तक नहीं होता और कुछेक तारीफों के नोटीफिकेशन से वे अपने आपको महान कवि समझने की भूल कर बैठते हैं,आलोचना शब्द संस्कृत में नहीं है,आलोचना शब्द कबीर के निंदक नियरे से आया है और जहां निंदा करनी होती है,वहां आलोचना शब्द का प्रचलन हो गया है,विचार और लोचन का साथ जरूर है क्योंकि खुली आखों ही साहित्य को देखना चाहिए,चाहे कविता हो ,शायरी हो या कहानी सबके आधार में जीवन की ही कहानी छिपी है।

“साहित्यकारिता और पत्रकारिता के अंतर्संबंध” विषय पर अपने विचार रखते हुए श्री जगूड़ी ने कहा कि साहित्य और पत्रकारिता अलग अलग हैं,इन्हें एक मानने की भूल न करें,वैसे सभी विधाओं का आपस में संबंध है,उन्होंने कविता और कवि की बड़ी रोचक व्याख्या करते कहा कि कला का कथन होती है कविता,कविता में कवि की तार्किकता भी होती है । कविता में प्रकृति का रंग होता है और पहले जैसे बारिश की एक दो बूंदें आती हैं,फिर पूरी तरह भिगो देती हैं पाठक को !

सत्र के प्रारम्भ में संस्था की अध्यक्षा रंजीता सिंह ने संस्था का परिचय देते बताया कि इस समारोह में पच्चीस महिलाओं को स्वयंसिद्धा सम्मान से सम्मानित किया गया जिन्होंने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है,इनमें प्रसिद्ध एक्टर यशपाल शर्मा की पत्नी प्रतिभा सुमन को जो खुद एक्ट्रेस हैं,सम्मानित किया गया।
कविकुंभ पत्रिका के अंक का विमोचन भी किया गया जो कि उपेंद्र कुमार पर केंद्रित है और इसमें यशपाल शर्मा पर भी विशेष सामग्री प्रकाशित की गयी है,

हिमाचल के भाषा व संस्कृति विभाग के निदेशक पंकज ललित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे, उन्होंने बताया कि मार्च माह से इसी गेयटी थियेटर में किताबघर बनाया गया है जिसमें हिमाचल के लेखकों की अब तक तीन चार लाख रुपये की किताबें पाठकों ने हाथों हाथ खरीदी हैं,कौन कहता है कि पाठक नहीं हैं ? यहां नि:शुल्क गोष्ठियों का भी अवसर प्रदान किया जा रहा है,यहीं पर थियेटर फेस्टिवल भी आयोजित किया जायेगा।

प्रथम सत्र परिचर्चा में हिमाचल के डाॅ हेमराज कौशिक ने बीज वक्तव्य के रूप में साहित्यिक पत्रकारिता की शुरूआत और इसके अब तक अनेक पड़ावों की बात की,राजेंद्र राजन् ने अखबार,रेडियो , दूरदर्शन माध्यमों में सामान्य के गायब होने जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की,सामाजिक और साहित्यिक पत्रकारिता की स्पेस लगातार कम होते जाने पर चिंता जताई ।हिसार से आये हरियाणा ग्रंथ अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष कमलेश भारतीय ने साहित्यिक पत्रकारिता -कल ,आज और कल पर बात कहते हुए निर्मल वर्मा अज्ञेय,मोहन राकेश ,मणि मधुकर ,कुबेर दत्त के साहित्यिक पत्रकारिता में योगदान का उल्लेख करते साहित्य के पन्नों के बंजर होते जाने पर चिंता व्यक्त की।

वरिष्ठ साहित्यकार सुदर्शन वाशिष्ठ ने कहा कि अब साधन व संसाधन घट रहे हैं और साहित्यिक पृष्ठ सिमटते जा रहे हैं,लघु पत्रिकाओं का प्रचार प्रसार बहुत कम है । सोशल मीडिया से रचनाएं ली जा रही हैं ।
रेख्ता से जुड़े व राज्यसभा टीवी के चर्चित प्रस्तोता रहे इरफान ने कहा कि यह विषय काफी रोचक भी है और विचारोत्तेजक भी । ये दोनों चीज़ें अलग हैं और इन्हें एक दूसरे के खिलाफ खड़ा करना गलत है, पत्रों के साहित्यिक परिशिष्ट बंद हो रहे हैं । बाजार और पूंजीवाद ने इस पर बहुत असर डाला ।
इरफान ने शब्दोत्सव के अंतिम भाग में एक्टर यशपाल का लाइव इंटरव्यू किया जो बहुत दिलचस्प रहा और बेहद पसंद किया गया ।
परिचर्चा सत्र का संचालन चर्चित कवि आत्मा रंजन ने बहुत सफलतापूर्वक किया,बाद में कवि गोष्ठी भी हुई इसका संचालन जगदीश बाली ने किया,एक सत्र का संचालन दीप्ति सारस्वत ने भी किया।

तीन सत्र में काव्य पाठ और एक टॉक शो में इरफान की बात चीत ख्यात अभिनेता यशपाल शर्मा से हुई ।
डा उषा राय ने रंजीता सिंह के काव्य संग्रह “प्रेम में पड़े रहना ” पर अपनी टिप्पणी और आलोचनात्मक प्रस्तुति दी ।
उसके बाद “स्वयं सिद्ध सम्मान समारोह में देश की ,28 संघर्षशील,जुझारू,और प्रतिभाशील स्त्रियों का सम्मान हुआ।

संस्था के राष्ट्रीय स्तर के सम्मान किसी भी विशेष विधा में किसी एक ही स्त्री को ये सम्मान दिया है स्वयंसिद्धा शिखर सम्मान इस वर्ष चार महिलाओं को दिए गए
,पत्रकारिता में जयंती रंगनाथन,डिजिटल एंटरप्रेन्योरशिप में गीता खुशबू अख्तर,संगीत में सोनिया आनंद ,कृषि और स्वरोजगार में रूबी पारीक को ,स्वयंसिद्धा सृजन सम्मान जो प्रतीक राज्य से किसी एक महिला को दिया जाता है ।
हिमाचल प्रदेश से इस बार क्नेक्टिंग लाइफ की अध्यक्ष बिमला ठाकुर ,कीकली न्यूज की वंदना भागरा,उत्तराखंड से दानपुर म्यूजिक संस्था की मीरा आर्य ,झारखंड से आदिवासी समाज पर विशेष कार्य कर रही अंजुला मुर्मू ,दिल्ली से आर्यन पब्लिकेशन की शुभा धर्म,राजस्थान से राष्ट्रीय पावर लिफ्टर मधुलिका धर्मेंद्र,बिहार से शिक्षाविद,साहित्यकार समाजसेवी रानी श्रीवास्तव,उत्तर प्रदेश से पत्रकार समाजसेवी मॉली सेठ,पंजाब की ख्यात वरिष्ठ लेखिका उमा त्रिलोक,और नव सृजन सम्मान जो कम उमर में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने के लिए संस्था की तरफ से दिए जाते हैं वो इस वर्ष दिए गए
उत्तर प्रदेश फैजाबाद की मूल निवासी पाखी डिजिटल पत्रिका की संपादक शोभा अक्षर और
शिमला की युवा कलाकार साहित्यकार देवकन्या ठाकुर को,ये सभी सम्मान एक भव्य आयोजन समारोह में गेयटी थियेटर के सुंदर सभागार में यशपाल शर्मा ,लीलाधर जगूरी ,इरफान, विद्या निधि छाबड़ा और संस्था की संस्थापक अध्यक्ष रंजीता सिंह,और बीइंग वुमन की युवा सचिव इवा प्रताप सिंह ने दिए।स्मृति चिन्ह,अंग वस्त्र और उपहार के साथ उनका सम्मान किया गया ।यशपाल ने अपनी फिल्म दादा लखमी पर विशेष बात चीत की और हरियाणा के लोक नाटक स्वांग पर भी बात की ,लीलाधर जगूरी ने कहा कि स्वांग संसार की प्राचीनतम नाट्य शैली है ,इसी से नाटक भी उपजा है ।आखिरी सत्र मुशायरे में यशपाल शर्मा और रंजीता सिंह के हाथों सभी कवि,शायरों को अंग वस्त्र,स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए आखिरी सत्र “रंग ए फलक”मुशायरे का रहा जिसमें देश के प्रख्यात शायर अफजल मंगलोरी साब ने सदारत की ,इस आयोजन में उन्हें साहित्य के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी मिला

इस मुशायेरे की निजामत देहरादून उत्तराखंड से आए शायर परवेज गाज़ी ने किया,ऑस्ट्रेलिया से आए ख्यात शायर महेश जानिब ,प्रख्यात पत्रकार कवि शायर जयप्रकाश त्रिपाठी,रंजीता सिंह .फलक आसिफ कैफ़ी , आस फातमी , मशहूर शायर फेमस खतौलवी,रमेश डढवाल ,कुलदीप गर्ग ,नरेश देयोग सुमित राज और सुरेश जज ने शिरकत की और अपनी गजल,नज्मों और कलाम से सबका मन मोह लिया।

इस शब्दोत्सव में प्रमुख तौर पर देहरादून से ख्यात कवि पद्मश्री लीलाधर जगूरी,दिल्ली से राज्यसभा टीवी और रखता के प्रख्यात एंकर इरफान,कोलकाता से आए कवि यतीश कुमार ,बंगलौर से आए कवि द्वारिका प्रसाद उनियाल,बरेली से आए कवि श्रीविलास सिंह ,दिल्ली से आई कवयित्री पूनम अरोड़ा,राजीव कुमार ,कानपुर से आए कवि वीरू सोनकर,राजेश अरोड़ा,लखनऊ से आई कवयित्री सुशीला पुरी , डा उषा राय,अर्चिता, पंजाब से सुरजीत जज ,सुरजीत सिरसा,शिमला से कथाकार एस आर हरनोट,सुदर्शन वशिष्ठ,हमीरपुर से राजेंद्र राजन ,कुल राजीव पंत ,गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय ,विचलित अजेय नरेश दयोग,रमेश डढवाल,कुलदीप गर्ग तरुण ,सुमित राज,विमल ,अजय विचलित ,के आर भारती ,उमा ठाकुर,हिसार से रश्मि व नीलम और जोधपुर से रमेश शर्मा,नोएडा से इवा प्रताप सिंह, कस्तूरिका और रज़ा फाउन्देशन के संजीव चौबे की गरिमामयी उपस्थिति रही।

धन्यवाद ज्ञापन में आयोजक रंजीता सिंह से शिमला की स्थानीय टीम के लिए रमेश डढवाल ,नरेश दियोग,कुलदीप गर्ग और अन्य को स्मृति चिन्ह दिया और अपनी संस्था से जुड़े हर उस सदस्य का आभार जताया ,जिन्होंने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस आयोजन में अपनी अहम भूमिका निभाई ।विशेष रूप से कविकुंभ के इस आयोजन में पहली बार रज़ा शताब्दी वर्ष पर रजा फाउन्देशन के सहयोग और अपने सभी डिजिटल पार्टनर मेटी नेटवर्क,कीकली न्यूज,पल पल न्यूज का आभार व्यक्त किया और अपने सभी सोशल मीडिया प्रोमोशन के मुख्य डिजाइनर कवि शायर दीपचंद महावार का भी हृदय से आभार व्यक्त किया ।
पत्रिका ने आगे इसे और अन्य राज्यों में किए जाने और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक साहित्य के प्रचार प्रसार तक पहुंचाने की बात कही। इस वर्ष इस आयोजन का छठा साल था।
रंजीता सिंह.फलक, ने शिमला की जनता का हार्दिक आभार व्यक्त किया और निदेशक पंकज ललित का भी हार्दिक आभार व्यक्त किया जिनके सहयोग से ये राष्ट्रीय आयोजन शिमला में सम्पन्न हो सका।

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