हिमाचल प्रदेश की खराब माली हालत का मुद्दा सोमवार को विधानसभा में उठा।मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल इस समय गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है और सरकार के पास वित्तीय संसाधनों की भारी कमी है।इस कारण सरकार विधायक क्षेत्र विकास निधि की तीसरी किस्त जारी करने की स्थिति में नहीं है।मुख्यमंत्री विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान प्रश्नकाल के बाद नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर द्वारा उठाए गए मुद्दे पर जवाब दे रहे थे।मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि सरकार दो किस्तें पहले ही जारी कर चुकी है,लेकिन तीसरी किस्त जारी करने में दिक्कतें हैं।उन्होंने कहा कि बढ़े हुए वेतन और भत्ते भी इस माह विधायकों को नहीं दिए जा सकेंगे।उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा देश की इकलौती विधानसभा है जहां विधायक अपना आयकर और बिजली-पानी के बिल स्वयं भरते हैं।यदि केंद्र सरकार की तरफ से आर्थिक सहयोग मिलता है तो इस माह ही तीसरी किस्त जारी की जा सकती है।मुख्यमंत्री ने बताया कि सूबे का राजस्व अनुदान घाटा 11 हजार करोड़ रुपए से घटकर 3200 करोड़ रुपए रह गया है,लेकिन ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने के बाद केंद्र सरकार ने राज्य की कर्ज सीमा 4800 करोड़ रुपए कम कर दी है और 1600 करोड़ रुपए की ग्रांट भी बंद कर दी है।ऐसे में सरकार को दैनिक खर्च चलाने में भी दिक्कत आ रही है। उन्होंने कहा कि सभी गैर-जरूरी खर्च रोक दिए गए हैं ताकि कर्मचारियों का वेतन,पेंशन और विकास कार्य जारी रहें।

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने उठाया मुद्दा:नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि मौजूदा वर्ष में केवल दो किस्तें ही जारी की गई हैं और वह भी विधायकों की सिफारिशों के अनुसार नहीं।उन्होंने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र सराज के लिए 71.96 लाख रुपए स्वीकृत किए गए थे,लेकिन केवल 24.50 लाख रुपए ही जारी किए गए हैं।इससे पंचायत प्रतिनिधियों और जनता में नाराजगी बढ़ी है और विधायकों की छवि खराब हो रही है।उन्होंने सरकार से तीसरी किस्त तुरंत जारी करने की मांग की।

पेंशनरों की देनदारियों पर क्या बोले सीएम:मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कर्मचारियों और पेंशनरों से जुड़े मुद्दों पर कहा कि पिछली सरकार दस हजार करोड़ रुपए से अधिक वेतन और पेंशन एरियर की देनदारी छोड़कर गई थी,जिसे मौजूदा सरकार प्राथमिकता से चुका रही है,75 वर्ष से अधिक उम्र के पेंशनरों को पूरा एरियर जारी किया जा चुका है,70 से 75 वर्ष तक के पेंशनरों को 70 प्रतिशत,65 से 70 वर्ष के लिए 38 प्रतिशत तथा 65 वर्ष से कम आयु वर्ग को 35 प्रतिशत भुगतान किया गया है।

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