विंग्स ऑफ़ फ़ायर’और ‘लेटर्स फ्रॉम अ फादर टू हिज डॉटर’ नमक पुस्तकें की भेंट।

राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मशोबरा में उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने 254 बच्चों को दो-दो किताबें वितरित की।द हिमाचल स्कूल एडॉप्शन प्रोग्राम के तहत उपायुक्त अनुपम कश्यप ने राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मशोबरा को गोद लिया है।उपायुक्त ने (Letters From A Father To His Daughter) और “विंग्स ऑफ़ फायर” पुस्तकें स्कूल के सभी बच्चों को दी।उपायुक्त ने कहा कि इसका उद्देश्य बच्चों में किताबें पढ़ने की आदत को विकसित करना है।इसके साथ हम इस स्कूल में इन सभी बच्चों पर रिसर्च भी करेंगे कि इन दोनों किताबों को पढ़ने के बाद व्यवहार और सोच के क्या-क्या परिवर्तन आए हैं।इसके लिए स्काई हाई ड्रीम संस्था काम करेगी।

उन्होंने कहा कि दोनों ही किताबें ज्ञान की दृष्टि से बेहद जरूरी है।बच्चों को इन किताबों को अवश्य पढ़ना चाहिए। आज मोबाइल के दौर में बच्चे किताबों से दूर होते जा रहे है। जो किताबें पढ़कर ध्यान केंद्रित होता है और ज्ञान अर्जित होता है,उसकी तुलना कभी मोबाइल से नहीं की जा सकती है।इससे पहले उपायुक्त द्वारा मशोबरा स्कूल में 260 बच्चों को इंग्लिश टू हिंदी डिक्शनरी दी गई थी।इसके अलावा 10 डिक्शनरी स्कूल की लाइब्रेरी में भी रखी गई थी।इसका सारा खर्च उपायुक्त ने अपने निजी वेतन से ही दिया था।

Letters From A Father To His Daughter पुस्तक:पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद के एक कश्मीरी पंडित परिवार में हुआ था। नेहरू की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई घर पर ही हुई और 15 साल की उम्र में वह वकालत की पढ़ाई करने लंदन चले गए। 1912 में भारत वापिस लौटे और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए।नेहरू को स्वतंत्र भारत का प्रधानमंत्री बनने का गौरव भी प्राप्त हुआ,जिस पद का दायित्व उन्होंने 17 सालों तक निभाया।जवाहरलाल नेहरू की रुचि लेखन में शुरू से ही थी।किताब (Letter From A Father To His Daughter) जवाहरलाल नेहरू के उन पत्रों का संग्रह है,जो उन्होंने इंदिरा गांधी को तब लिखे थे जब वह 10 साल की थीं और मसूरी गई हुई थी।उन दिनों नेहरू प्रयागराज (इलाहाबाद) में व्यस्त थे।दूर रहते हुए नेहरू ने इन ख़तों के माध्यम से इंदिरा से संपर्क बनाए रखा और उन्हें ढेर सारे पत्र लिखे।उन्हीं पत्रों ने आगे चलकर किताब का रूप लिया।अपने पत्रों में नेहरू ने नन्हीं इंदिरा को बताया था,कि पृथ्वी कब और कैसे बनी,इंसान और पशुओं का जीवन कैसे शुरू हुआ और साथ ही दुनिया भर में तमाम तरह की सभ्यताएं व समाज कैसे अस्तित्व में आए।साल 1928 में लिखे यह पत्र आज भी वही ताज़गी और जीवंतता लिए हुए हैं।इस पत्र-संग्रह में इंसानों और कुदरत के प्रति उनका प्रेम मुखर होता है।किताब पढ़ते हुए आप महसूस करेंगे कि यह किसी भी उपन्यास या कहानी से अधिक रोचक हैं।पत्रों के ज़रिए इस किताब में कही गई हर कहानी शाश्वत है,1929 में नेहरू के अनुरोध पर ‘इलाहाबाद लॉ जर्नल प्रेस’द्वारा इसे प्रकाशित किया गया,जिसमें उनके 30 पत्र शामिल थे,1931 में दूसरा संस्करण भी प्रकाशित किया गया।इस पुस्तक के माध्यम से इतिहास को लेकर नेहरू की समझ इतनी आधुनिक और उदारवादी थी,कि किताब कई सालों बाद आज भी उतनी ही प्रासंगिक है।इस किताब को पढ़ने के बाद बाल मन में कई सवाल आ जाते हैं,जिनके जवाब वो अपने आसपास की दुनिया से ढूंढने की कोशिश करता है।

विंग्स ऑफ़ फ़ायर” पुस्तक:”विंग्स ऑफ़ फ़ायर” भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम की एक प्रेरक आत्मकथा है।डॉ.कलाम ने अंकित तिवारी के साथ मिलकर एक युवा बालक और विकासशील भारत की यात्रा को लिखा है।अगर आप श्री कलाम के जीवन के सबक पढ़ने में रुचि रखते हैं,तो आपको ‘विंग्स ऑफ़ फायर’ पुस्तक की समीक्षा अवश्य पढ़नी चाहिए,जो इसमें उपलब्ध है।यह पुस्तक अत्यंत प्रभावशाली और प्रभावोत्पादक है,1999 में प्रकाशित,विंग्स ऑफ़ फ़ायर’और ‘इंडिया 2020: अ विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम’ बेहद लोकप्रिय हुईं।यह पुस्तक डॉ कलाम के जीवन के हर महत्वपूर्ण पहलू से जुड़ी है।यह पुस्तक हमें डॉ कलाम द्वारा सफलता का स्वाद चखने से पहले झेले गए उतार-चढ़ावों से रूबरू कराती है।इसमें नैतिक शिक्षाएँ भी शामिल हैं जिन्हें हमें अपने जीवन में अपनानी चाहिए।इसमें शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक दोनों तरह के पाठकों के लिए कुछ न कुछ है।’विंग्स ऑफ फायर’ चार खंडों में विभाजित है,अभिविन्यास,सृजन,प्रायश्चित और चिंतन,यह विभाजित खंड पाठक को पाठ को आसानी से समझने में मदद करते हैं।
