बिहार की पावन धरती जिसने अनेकों जननायकों को जन्म दिया,संतों को साधना दी और राष्ट्र को दिशा दी,आज वहीं से ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण आवाज उठी,जिसने पूरे भारत के संस्कारों को आहत कर दिया।कांग्रेस और राजद के कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वर्गीय माताजी पर अभद्र टिप्पणी की है।यह केवल एक व्यक्ति पर प्रहार नहीं,बल्कि भारतीय संस्कृति,मातृ-भक्ति और बिहार की अस्मिता पर सीधा आघात है।बिहार चुनाव में अपनी सुनिश्चित पराजय को देखकर कांग्रेस-राजद का गठजोड़ पूरी तरह बौखला गया है।जनता का भरोसा और समर्थन जब धराशायी होने लगता है,तो राजनीतिक दल अपने सिद्धांत और संयम खो बैठते हैं।

आज कांग्रेस-राजद की नीति नष्ट,नैतिकता क्षीण और नीयत कलंकित है।यह परंपरा रही है कि मुद्दाविहीन विपक्ष लोकतांत्रिक विमर्श छोड़कर व्यक्तिगत आक्षेपों और परिवार पर हमलों की ओर मुड़ता है।मातृशक्ति का अपमान करना इसी अनैतिक राजनीति का घिनौना प्रतीक है।यह वही मानसिकता है जिसने दुर्योधन को अहंकार में अंधा बना दिया था और दुःशासन को मर्यादा भंग करने पर मजबूर कर दिया था।आज कांग्रेस-राजद की बौखलाहट भी उसी हस्तिनापुर की सभा जैसी प्रतीत होती है,जहां हार सुनिश्चित देखकर मर्यादा को तिलांजलि दे दी गई थी।लेकिन इतिहास गवाह है कि नारी के अपमान के बाद पतन निश्चित होता है।यह बौखलाहट केवल वर्तमान की भाषा नहीं,बल्कि उनके राजनीतिक पतन और आगामी पराजय की पूर्वघोषणा है।

बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव पर निशाना साधा,नड्डा ने एक वीडियो संदेश जारी कर गांधी और तेजस्वी यादव को ‘‘दो बिगड़ैल राजकुमार’’ कहा,जिन्होंने बिहार और इसकी संस्कृति को बदनाम किया है।भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि दोनों नेताओं को देश से माफी मांगनी चाहिए।सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप सामने आया है जिसमें कुछ अज्ञात लोगों को यात्रा के दौरान मंच से मोदी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करते हुए सुना जा सकता है।कांग्रेस-राजद जैसे दल जब जनता का विश्वास खो बैठते हैं,तो वे लोकतंत्र के मूल स्तंभों को ही कमजोर करने का प्रयास करते हैं।कभी यह अफवाह फैलाते हैं कि संविधान बदल दिया जाएगा,तो कभी आरक्षण और अधिकारों को लेकर जनता के बीच झूठ का जाल बुनते हैं।यह वही प्रवृत्ति है जो कंस की कुटिलता की तरह निरंतर असत्य और भ्रम से समाज को विषाक्त करने का प्रयास करती है।लेकिन सच यही है कि संविधान की रक्षा उन हाथों ने की है,जो सत्ता को सेवा का साधन मानते हैं,न कि तुष्टिकरण का औजार।राजद,सपा,कांग्रेस और तृणमूल सभी का इतिहास स्त्री-विरोधी मानसिकता से भरा पड़ा है।लालू यादव के शासनकाल में उनके साले और राजद मंत्री साधु यादव पर महिला शोषण के गंभीर आरोप लगे।लालू के कुशासन में आई.ए.एस अधिकारी की पत्नी और परिवारजनों के साथ दुराचार की घटनाएं राष्ट्रीय सुर्खियां बनीं।सत्ता अपराधियों की ढाल बनी और महिला अस्मिता बार-बार रौंदी गई।समाजवादी पार्टी के दौर में भी यही तस्वीर रही।

भला कौन भूल सकता है कि मुलायम सिंह यादव के राज में उत्तर प्रदेश की प्रथम दलित महिला मुख्यमंत्री ने स्वयं को कमरे में बंद कर अपनी जान और आबरू की हिफाजत की थी।मुलायम सिंह की वह ऐतिहासिक उक्ति की “लड़के हैं,लड़कों से गलती हो जाती है”सपा की मानसिकता का दर्पण बन गई।सभा से संसद तक आज़म खान की अश्लील टिप्पणियों ने इस प्रवृत्ति को और विस्तार दिया।कांग्रेस नेताओं ने निर्भया कांड जैसी त्रासदी पर भी असंवेदनशील टिप्पणियां कीं,जबकि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के शासन में पंचायत चुनावों से लेकर गांव-गांव तक महिलाओं पर हिंसा और बलात्कार की घटनाएं आम हो गईं।यह इतिहास गवाही देता है कि इन दलों की राजनीति में नारी-गरिमा हमेशा कुर्बान हुई है,कभी कुर्सी की भूख पर,कभी तुष्टिकरण की वेदी पर।उनकी राजनीति में नारी गरिमा कातिरस्कार,अपराधियों का संरक्षण और तुष्टिकरण की हवस ही सर्वोपरि रही है।आज कांग्रेस,राजद,सपा और टीएमसी मिलकर INDI गठबंधन कहे जाते हैं।लेकिन उनका असली चेहरा रावणीय अहंकार और दुःशासन मानसिकता का है।यह गठबंधन भारतीय संस्कृति का उपहास करता है,सेना का अपमान करता है,संविधान पर प्रश्नचिह्न लगाता है और अब मातृशक्ति का अपमान कर रहा है।बिहार और भारत की जनता सब देख रही है।माँ का अपमान केवल पुत्र का नहीं,पूरी सभ्यता का अपमान है।लोकतंत्र की अदालत में जनता इन स्त्री-विरोधी और बौखलाए दलों को कठोर सबक सिखाएगी।वोट की चोट से इन दु:शासन मनोवृत्ति वाली सियासी जमातों को लोकतंत्र और मर्यादा का पाठ सिखाएगी।इन बौखलाए दलों को रामचरितमानस की इस चौपाई से सबक लेना चाहिए अन्यथा रावण की तरह पतन निश्चित है।
रिपु दमनु करिअ सब बिधि नाना।
नारि अपमानु न सहइ सुजाना॥
रावनु नाशहि हेतु बिराजा।
सिया हरन पर भएउ काजु साजा॥

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