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समग्र नीति एवं ठोस हस्तक्षेप के लिए दिये सुझाव।

हिमाचल ज्ञान विज्ञान समिति ने प्रदेश को नशामुक्त करने के लिए व्यापक और समग्र नीति बनाने के लिए विधायकों को ज्ञापन सौंपे।शिमला,सिरमौर,सोलन इकाइयों ने सम्बन्धित विधायकों को ज्ञापन दिये।समिति के राज्य सचिव सत्यवान पुण्डीर के नेतृत्व में डा.आर.के.जिष्टू,रौबिन सिन्हा,नवीन शर्मा,भूमित ठाकुर ने धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा,आनी के विधायक लोकेन्द्र सिंह,ऊना के विधायक सतपाल सत्ती,कुटलहड़ के विधायक विवेक शर्मा,धर्मपुर के विधायक चन्द्रशेखर,फतेहपुर के विधायक भवानी सिंह पठानिया,श्री नैना देवी के विधायक रणधीर शर्मा,भरमौर के विधायक डॉ जनक राज तथा शिमला के विधायक हरीश जनारथा को शिमला में ज्ञापन दिया।

सिरमौर इकाई ने नाहन के विधायक अजय सोलंकी को ज्ञापन दिया।वहीं बजट सत्र में व्यस्त होने के कारण सोलन इकाई ने कर्नल धनी राम शांडील के सुपुत्र को ज्ञापन दिए।अन्य जिलों ने अपने विधायकों को व्हाट्एप पर ज्ञापन भेजे।समिति ने विधायकों से आग्रह किया कि बजट सत्र में पक्ष और प्रतिपक्ष नशे पर विशेष तौर पर चर्चा करे और नशे को रोकने के लिए समग्र एवं ठोस नीति बनाएं।समिति ने आने वाले पंचायती राज चुनावों में नशे के इस्तेमाल को रोकने के लिए कड़े दंडनीय प्रावधान करने की मांग भी की।हिमाचल ज्ञान विज्ञान समिति ने सरकार से मांग की है कि नशे के खिलाफ मुहिम को मिशन मोड में चलाए।समिति ने ज्ञापन के माध्यम से सरकार से इस मुद्दे पर ठोस हस्तक्षेप की मांग करते हुए अपने सुझाव दिये।

प्रस्तावित हस्तक्षेप राज्य-स्तरीय मिशन की स्थापना। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक मिशन गठित किया जाए,जो मांग कम करने और आपूर्ति नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित करे।समर्पित समन्वय एवं क्रियान्वयन सेल,सेल विभिन्न विभागों के बीच समन्वय सुनिश्चित करेगा और संसाधन आवंटन,डेटा संग्रह और कार्यक्रम मूल्यांकन का कार्य करेगा।उपचार और नशामुक्ति सेवाएं :सभी जिलों में OPD और IPD सुविधाओं का विस्तार एवं सुदृढ़ीकरण किया जाए।सरकारी क्षेत्र में पुनर्वास केंद्रों की स्थापना की जाए और जेलों में नशामुक्ति कार्यक्रम शुरू किए जाएं।मांग में कमी लाने की रणनीतियाँ :जागरूकता अभियान,स्कूल और कॉलेज कार्यक्रम,और माता-पिता की भागीदारी को बढ़ावा दिया जाए।महिलाओं एवं ‘‘मां’’ की भूमिका को केन्द्र में रखते हुए मां की बच्चों के व्यवहार में आ रहे बदलावों बारे पहचान करने तथा निर्णय लेने की क्षमताओं के विकास के लिए विशेष कार्यक्रम बनाया जाए।मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान:एकीकृत मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं और 24×7 हेल्पलाइन स्थापित की जाएं।मानसिक स्वास्थ्य के ढांचे को मजबूत करना जिसमें पर्याप्त मनोचिकित्सकों,परामर्शकर्ताओं की भर्ती तथा सेवाओं का विस्तार करना।

क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण:हितधारकों के प्रशिक्षण,कानून प्रवर्तन,स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं,शिक्षकों और सामुदायिक मत निर्माताओं को कलंक-मुक्त,सहयोगात्मक दृष्टिकोण में प्रशिक्षित करना।भ्रामक एवं मिथक निवारण अभियान:मादक द्रव्यों के उपयोग के बारे में मिथकों और गलतफहमियों को दूर करने के लिए लक्षित अभियान चलाना।डेटा-संचालित योजना और निगरानी :नशीले पदार्थो्र के उपयोग के दायरे,रुझान और क्षेत्रीय विविधताओं को निर्धारित करने के लिए साक्ष्य-आधारित शोध एवं अध्ययन करना।सीमावर्ती क्षेत्रों पर विशेष ध्यान:पंजाब,हरियाणा,जम्मू-कश्मीर और चंडीगढ़ से सटे क्षेत्रों में लक्षित हस्तक्षेप किए जाएं तथा इन राज्यों की सरकारों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए समग्र अभियान चलाया जाए।

समिति ने पंचायती राज एवं शहरी निकायों के जन प्रतिनिधियों से भी आग्रह किया कि किसी कारणवश या नशे की चपेट में आने वाले व लत लगने के कारण ऐसे लोगों व परिवार के बहिष्कार का एलान न करें,बल्कि उनके इलाज के लिए हमदर्दी के साथ आगे आएं ओर उनके जरिये बड़े सप्लायरों पर कार्यवाही के लिए दबाव बनाएं।

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