हिमाचल में नियंत्रित वातावरण में औद्योगिक,वैज्ञानिक और औषधीय प्रयोजनों के लिए भांग की खेती को वैध बनाने से संबंधित मुद्दों पर सिफारिशें देने के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने शुक्रवार को सदन में पेश की।इस संंबंध में उन्होंने नियम 102 के तहत सदन में सरकारी संकल्प प्रस्तुत किया।रिपोर्ट में समिति ने हिमाचल में भांग की खेती को रैगुलेट करने के लिए राज्य स्तरीय प्राधिकरण का गठन किए जाने की सिफारिश की है।

समिति ने उत्तराखंड,मध्य प्रदेश और जम्मू-कश्मीर राज्यों का दौर किया और वहां की भांग की खेती का अध्ययन कर विधानसभा में राजस्व मंत्री ने रिपोर्ट पेश की।रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि प्रदेश में गैर-मादक उद्देश्यों के लिए भांग की नियंत्रित खेती हिमाचल के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है।

भांग की खेती के लिए कमेटी ने इसके उत्पादन,निर्माण,कब्जा,परिवहन,आयात अंतर्राज्य,निर्यात अंतर्राज्य,बिक्री,खरीद,खपत या भांग की खेती की अनुमति तथा नियंत्रण के लिए एन.डी.पी.एस.एक्ट में संशोधन करने की सिफारिश की गई है।इसके अलावा कमेटी ने भांग के पौधे की अनुमति देने के लिए कुछ शर्तों के अधीन एक सामान्य या विशेष आदेश पारित करने की बात कही है।खेती से लेकर उत्पादों के निर्माण की प्रक्रियाओं के लिए एसओपी विकसित करने को कहा है।खेती को रैगुलेट करने के लिए एक राज्य स्तरीय प्राधिकरण का गठन करने को कहा गया है।इसमें बीज बैंक की स्थापना,बीज वितरण, उपज की खरीद और फार्मा इकाइयों की स्थापना के संबंध में निर्णय लेने के लिए एकल खिड़की प्रणाली प्रदान करेगा।कमेटी ने सिफारिश की है कि कृषि,बागवानी विभाग द्वारा अनुसंधान और विश्वविद्यालय के समन्वय से बीच बैंक विकसित किए जा सकते हैं।आय का कुछ प्रतिशत अनुसंधान और विकास,जागरूकता अभियान और क्षमता निर्माण अभ्यास के लिए रखे जाने की सिफारिश की गई है। इसके अलावा अतिरिक्त कार्य करने के लिए राज्य आबकारी व कराधान विभाग को मौजूदा संख्या से अधिक विशेष कर्मचारी उपलब्ध करवाने की भी सिफारिश कमेटी ने की है।मीडिया से बातचीत में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए भांग की खेती मील का पत्थर साबित होगी।उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश में रोजगार के अवसर सृजित होंगे।जल्द इसके लिए एसओपी तैयार की जाएगी।

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