
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने कहा है कि सदन की कार्यवाही पर उपचुनाव में लोगों के बीच चर्चा सही नहीं है।नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर को इससे परहेज करना होगा।उन्होंने कहा कि तत्काल प्रभाव से उनके फैसलों को लोगों के बीच ले जाने का क्रम रोका नहीं गया,तो वे बड़ा कदम उठाने के लिए मजबूर होंगे।मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि लोगों के बीच सदन के फैसलों की चर्चा सही नहीं और इसे नियमों का उल्लंघन माना जाएगा। सदन से छह विधायकों का निष्कासन संविधान के अनुसार हुआ था।विधानसभा नियमावली के दसवें शेड्यूल के उल्लंघन के तहत सदस्यता को रद्द किया गया है,इसके अलावा तीन निर्दलीय विधायक चुनकर आए थे।नियमों के अनुसार पांच वर्ष के कार्यकाल में वे किसी भी राजनीतिक दल को ज्वाइन नहीं कर सकते हैं।तीनों ने 22 मार्च को सदस्यता से इस्तीफा देकर 23 मार्च को भाजपा ज्वाइन कर ली,जबकि इस्तीफे पर फैसला लेने के लिए दोनों पक्षों को समय दिया गया था।फैसला आने से पहले ही तीनों सदस्य उच्च न्यायालय में चले गए।उन्होंने उच्च न्यायालय के फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि मुख्य न्यायाधीश ने विधानसभा अध्यक्ष के संवैधानिक अधिकार के बीच कोई दखल न देने की बात कही है।स्पीकर के अधिकारों पर उच्च और सर्वाेच्च न्यायालय ने तय कर दिया है कि जो भी फैसले लिए गए हैं,उसमें दखल की गुंजाइश नहीं है।चुनाव में चर्चा के बीच मामलों को लाया जा रहा है।उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए संविधान के अनुरूप यह निर्णय लिए हैं।सदन में कार्यवाही नियमों के अनुरूप होती है।सदस्य को अधिकार नहीं है कि वे हाउस के खिलाफ बयानबाजी करें।
