
मां दुर्गा के अलावा और कोई नहीं,जिसने सूर्य,चंद्रमा,तारे, पृथ्वी व सभी को पैदा किया हो।जिन रोगों,कष्टों और समस्याओं को संसार की कोई औषधि ठीक नहीं कर सकती उसे मां दुर्गा पल भर में समाप्त कर देती हैं।अथर्व वेद में मां दुर्गा के बारे में वर्णन है कि एक बार सभी देवता देवी मां के समीप गए और उन्होंने पूछा कि हे देवी तुम कौन हो,तब मां दुर्गा ने कहा कि मैं ब्रह्म हूं और अब्रह्म भी हूं,मैं विद्या और अविद्या हूं।मैं ऊपर-नीचे,अगल-बगल सब जगह हूं।मैं सनातन,शाश्वत हूं।मैंने ही ब्रह्मा,विष्णु,महेश को उत्पन्न किया है।मैं ही इंद्र,वरुण,पूषा और अश्विनी कुमारों का भरण-पोषण करती हूं।मैंने ही समस्त ब्रह्मांड को उत्पन्न किया है।मैं ही सृष्टि का पालन,सृजन और संहार करती हूं।जब ऐसे भाव मां दुर्गा ने प्रकट किया तब सभी देवताओं ने उन्हें साष्टांग प्रणाम किया।ये उद्गार महाब्रह्मर्षि श्रीकुमार स्वामी जी ने शनिवार को हेरिटेज नरवाणा बैंक्वेट एंड रिसोर्ट में आयोजित प्रभु कृपा दुख निवारण समागम में व्यक्त किए।समागम में श्रद्धालुओं के अनुभव सुनकर वहां उपस्थित डाक्टर,वैज्ञानिक और बुद्धिजीवी हैरान रह गए।समागम में सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों,धार्मिक संस्थाओं के विद्वानों,प्रशासनिक अधिकारियों व राजनीतिक क्षेत्र से संबंधित गणमान्य लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर प्रभु कृपा ग्रहण की। महाब्रह्मर्षि श्री कुमार स्वामी जी ने कहा कि जो व्यक्ति मां दुर्गा व भगवान श्रीराम के पाठ को उत्कीलन व परिहार करके जाप करता है,मां दुर्गा उसके सारे दुख दूर कर देती है।दुनिया में ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका समाधान इस पाठ न हो।पाठ करने वाले के लिए संसार में कुछ भी दुर्लभ नहीं रह जाता है।इसके लिए समर्पण की आवश्यकता होती है।मां दुर्गा का कथन है जो कृष्ण पक्ष की अष्टमी और चतुर्दशी को अपना सब कुछ मां दुर्गा के चरणों में समर्पित करके फिर प्रसाद रूप में ग्रहण करता है उससे मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं तथा सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देती हैं।
