
पानी की एक एक बूंद कीमती है,ऐसे में जल संरक्षण और व्यर्थ जल का दोबारा कैसे इस्तेमाल किया जाए,यह सीखने के लिए स्कूली बच्चों में गजब का उत्साह दिखा।मौका था आर्ट ऑफ लिविंग संस्था द्वारा जल संरक्षण विषय पर आयोजित कार्यशाला का।

अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक व सामाजिक संस्था,आर्ट ऑफ लिविंग के ग्रामीण विकास प्रोग्राम के तहत शिमला ग्रामीण की जनोल पंचायत की राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला,कायना में “मैं भी जल रक्षक”थीम पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया,जल संकट की चुनौती से निपटने लिए भावी पीढ़ी को तैयार करने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यशाला में आर्ट ऑफ लिविंग के स्वयंसेवी भूपेंद्र शर्मा ने बच्चों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया।

उन्होंने कहा कि जल ही जीवन है,लेकिन आधुनिक समय में जिस तरह जल संकट एक विकराल रूप धारण कर रहा है,शहरी क्षेत्रों के साथ साथ ग्रामीण इलाकों में भी पेयजल किल्लत सताने लगी है,इससे निपटने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने की अवशक्ता है,उन्होंने स्कूली बच्चों को जल संरक्षण को लेकर जरूरी टिप्स दिए और वर्षा जल भंडारण पर भी बल दिया।
स्कूल की प्रधानाचार्य विजयलक्ष्मी ने बच्चों को प्रमाण पत्र वितरित किए,इस अवसर पर क्षेत्र के जाने-माने बागवान व समाजसेवी डीडी कश्यप सहित कई गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे।

