
हिमाचल प्रदेश में प्रोजेक्टों को अब दो फीसदी पर्यावरण उपकर चुकाना होगा।तय समय पर उपकर नहीं चुकाया तो संचित राशि पर एक फीसदी ब्याज भी चुकाना होगा।राज्य सरकार प्रोजेक्टों को दी जाने वाली भूमि का विशेष मूल्यांकन करवाएगी और बाजार मूल्य के आधार पर भू-राजस्व निर्धारित होगा।इस पर दो फीसदी पर्यावरण उपकर चुकाना होगा।वीरवार को राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने भू-राजस्व संशोधन विधेयक 2025 विधानसभा में सदन के पटल पर रखा।शुक्रवार यानि आज को यह पारित होगा।

प्रदेश में प्रोजेक्टों पर लगने वाला पर्यावरण उपकर सरकार की आय का एक नया जरिया होगा।विधानसभा में रखे गए विधेयक में बताया गया है कि सरकार उपकर के लिए पर्यावरण कोष की स्थापना करेगी और इसे पर्यावरण संरक्षण,राजस्व प्रबंधन और प्रशासनिक दक्षता में वृद्धि पर खर्च किया जाएगा।प्रदेश में सरकार प्रोजेक्टों के लिए जितनी भी भूमि देगी,कब्जाधारक उस भूमि के लिए भू-मालिक की श्रेणी में गिना जाएगा।भू-मालिक की परिभाषा में आने पर उसे भू-राजस्व भी चुकाना होगा।भू-राजस्व का आकलन करने के लिए संबंधित भूमि का विशेष मूल्यांकन करवाया जाएगा।अब तक यह व्यवस्था नहीं थी।अब तक भू-राजस्व को दो फीसदी बढ़ाने का प्रावधान था,लेकिन इस विधेयक में चार फीसदी बढ़ाने का प्रावधान किया गया है।भू-राजस्व राज्य का विषय है।इसलिए सरकार अपने हिसाब से इसे लेकर नियम बना सकती है।विधेयक में साफ किया गया है कि बगीचों,रिहायशी भवनों,कृषि,छोटे कॉटेज और धार्मिक स्थलों पर यह अधिनियम लागू नहीं होगा।हालांकि,यह स्पष्ट नहीं है कि यह सेस नए प्रोजेक्टों पर ही लगेगा या प्रदेश में चल रही पुरानी परियजोनाओं पर भी।
