आरोप दस सालों में जनता के बीच से नदारद रहे बीजेपी प्रत्याशी सुरेश कश्यप।

लोकसभा चुनाव का अंतिम चरण एक जून को होना है। अंतिम चरण में हिमाचल की चार लोकसभा चुनाव व छः विधानसभा सीटों के लिए मतदान होना है।अंतिम चरण में होने वाले मतदान से पूर्व प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को सत्ता में लाने का मन बना दिया है।चारों लोकसभा और छः विधानसभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी भारी बहुमतों से जीत हासिल करने वाले हैं।शिमला संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुलतानपुरी भारी बहुमत के साथ जीत का परचम लहराने वाले हैं।यह बात कांग्रेस पार्टी उपाध्यक्ष हरिकृष्ण हिमराल ने एक प्रेस बयान कही।उन्होंने कहा कि कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में जनता का अपार स्नेह और जनसैलाब उमड़ रहा है।इस बार के चुनाव में सुलतानपुरी भाजपा प्रत्याशी को कड़ी चुनौती देने वाले हैं क्योंकि शिमला संसदीय क्षेत्र की जनता ने उन्हें सांसद के रूप में चुनने का मन बना दिया है।उन्होंने कहा कि विनोद सुलतानपुरी पूर्व सासंद स्व.केडी सुलतानपुरी के पुत्र हैं जो छः बार सांसद बने थे,छः बार सांसद रहते हुए उन्होंने शिमला संसदीय क्षेत्र का सर्वांगीण विकास किया है जो सपना उन्होंने शिमला संसदीय क्षेत्र लिए संजोया था वह सपना अब उनके पुत्र व कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुलतानपुरी करेंगे।क्योंकिं बीते 15 वर्षों से भाजपा के सांसद इस सीट पर काबिज रहे है लेकिन क्षेत्र के विकास के लिए उन्होंने कोई काम नहीं किया है।उन्होंने कहा कि खासकर भाजपा प्रत्याशी सुरेश कश्यप दस वर्षों से सासंद रहे हैं लेकिन वे जनता के बीच दिखाई नहीं दिए और जनता की समस्याओं का समाधान करने में भी नाकामयाब रहे।खासकर आपदा के समय न तो सांसद ने प्रभावितों की कोई सहायता की और न ही कोई आर्थिक मदद की।इतना ही नहीं अपने दस वर्ष के कार्यकाल के दौरान सुरेश कश्यप ने लोकसभा सदन के भीतर कोई सवाल जवाब नहीं किया।बल्कि उन्होंने उल्टा आपदा के दौरान केंद्र से मिलने वाली आर्थिक मदद भी रोकने का काम किया।हिमराल ने कहा कि भाजपा सरकार और सांसदों की यह रीत रही है जहां भी कांग्रेस की सरकार हो उस सरकार की कोई सहायता नहीं करनी है।चाहे कोई भी आपदा या विपत्ति आए।वे इस कांग्रेस सरकारों को मिलने वाले फंड का दुरुपयोग चुनी हुई सरकारों को गिराने के लिए करते हैं।खासकर पिछले दस वर्षों की बात करें तो पीएम मोदी की टीम ने देश के कई राज्यों में चुनी सरकारों को गिराने का काम किया है,लेकिन हिमाचल में भाजपाईयों का यह नापाक मनसूबा कामयाब नहीं हुआ है। मोदी सरकार ने आपदा के समय 9900 करोड़ का मुआवजा नहीं दिया बल्कि उससे कांग्रेस के छःविधायकों की खरीद फरोख्त की,आज उनकी हालत यह हो गई है उन्हें अपने ही लोग नहीं मान रहे हैं और चार जून को प्रदेश की जनता भी नहीं मानने वाली है।वे चार जून को न घर के न घाट के रहने वाले हैं,क्योंकि चार जून को कांग्रेस के प्रत्याशी भारी बहुमत से जीतने वाले हैं।
