अधिकारियों ने बच्चों को नशे से दूर रहने के लिए किया प्रेरित।

प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के एंटी चिट्टा प्रदेशव्यापी अभियान के तहत यहां राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पोर्टमोर में विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी प्रोटोकॉल ज्योति राणा ने कहा कि आज चिट्टा के कारण युवा पीढ़ी का भविष्य अधर में लटक रहा है।स्कूली बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग हर वर्ग चिट्टा की चपेट में है।चिट्टा के आदि युवा आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।उन्होंने कहा कि बच्चों को नशे की किसी वस्तु का सेवन नहीं करना चाहिए।स्कूल एवं अन्य शिक्षण संस्थानों में एक दूसरे को देखकर बच्चा नशा करना सीखता है।आज नशे के कारण कई युवा मौत का शिकार हो चुके हैं और कई परिवार पूरी तरह टूट चुके हैं।उन्होंने कहा कि बच्चों को पढ़ाई,खेल एवं अन्य रचनात्मक कार्यों में अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।बच्चे तनाव से बचने एवं कूल दिखने की चाह में दोस्तों के कहने पर नशे करने पर उतारू हो जाते हैं।नशा एक बीमारी है जिसका इलाज भी संभव है लेकिन इसमें उसके घर,परिवार,समाज और दोस्तों की बड़ी भूमिका होती है।उन्होंने कहा कि बच्चे अपने मां-बाप या परिवार के अन्य सदस्यों के साथ समय व्यतीत किया करें और जब अपने भाई बहन के व्यवहार में अचानक बदलाव आ जाए तो इसके पीछे की वजह आवश्य ढूंढे।जब बच्चे अकेले रहना शुरू कर देते हैं तो नशे की चपेट में आने की प्रबल संभावना रहती है।

डीएसपी अमित ठाकुर ने कहा कि नशे के आदी बच्चों की सूचना अपने शिक्षकों को या अपने अभिभावकों को दें।पुलिस के आपातकालीन नंबर 112 और 100 नंबर पर भी सूचना साझा कर सकते हैं।इसके अलावा ड्रग फ्री हिमाचल ऍप के माध्यम से भी सूचना सांचा की जा सकती है।इसमें सूचना देने वाले की पहचान सार्वजनिक नहीं होती है।नशे के आदि युवाओं की मौत समय पर इलाज न मिलने पर दो से दस सालों के बीच में ही हो जाती है।एनडीपीएस एक्ट के तहत 350 के करीब पदार्थ आते हैं।इसके तहत सख्त सजा का प्रावधान है।नशा तस्करों के खिलाफ पुलिस द्वारा सख्त कार्रवाई की जा रही है और कई मामलों में आरोपी जेल में सजा काट रहे हैं।प्रदेश को चिटा मुक्त बनाने के लिए सभी को अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी चाहिए।

इस दौरान डॉ अचित शर्मा ने कहा कि नशा एक बीमारी है लेकिन इसका इलाज तभी संभव है जब सही समय पर मरीज को अस्पताल लाया जाए।नशे के आदि लोगों को कई मानसिक एवं शारीरिक बीमारियां लग जाती हैं।नशे के आदी व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करते हैं और लड़ाई झगड़े के लिए उतारू हो जाते हैं।नशे के आदी व्यक्ति को नियमित नींद न आना,इन्फेक्शन तथा रक्त संबंधी बीमारियां लगती हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों की समय-समय पर मनोचिकित्सक के पास काउंसलिंग करवानी चाहिए।इसके साथ ही चिकित्सक से नियमित जांच करवानी चाहिए।अगर बच्चा नशे का आदी है तो तुरंत अस्पताल में इलाज शुरू करवाए और ऐसे बच्चों को अकेला न छोड़े।जिला युवा सेवाएं एवं खेल अधिकारी राकेश धौता ने कहा कि नशे से दूर रहने में खेलों की अग्रणी भूमिका है।आज खेलों में बच्चे देश दुनिया में नाम रोशन कर रहे हैं।सरकारी नौकरियों में खिलाड़ियों के लिए आरक्षण लागू है।हर बच्चे को किसी न किसी खेल के साथ जुड़ना चाहिए।खेलों से बच्चे स्वस्थ और खुश रहते हैं।इस अवसर पर प्रधानाचार्य राखी पंडित और उप प्रधानाचार्य सुनीता राणा व स्कूल स्टाफ के सदस्य तथा स्कूली छात्र मौजूद रहे।
