
हिमाचल प्रदेश उद्योग विभाग द्वारा जिला कुल्लू में एक जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया।कार्यशाला का उद्देश्य प्रदेश के सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को सशक्त बनाना,उद्यमिता को बढ़ावा देना तथा औद्योगिक विकास के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना रहा।कार्यक्रम में विभिन्न विभागों एवं औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।इस अवसर पर पी.एल.नेगी,महाप्रबंधक,जिला उद्योग केंद्र कुल्लू,एस.एस. शिंदे,सहायक प्रबंधक(कमर्शियल)नेशनल हैंडलूम डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड और सोमेश शर्मा,प्रबंधक,जिला उद्योग केंद्र कुल्लू विशेष रूप से उपस्थित रहे।एमएसएमई,एफपीसी किसान उत्पादक संगठन,एसएचजी(स्वयं सहायता समूह) और सहकारी संस्थाओं सहित 60 से अधिक प्रतिभागियों ने कार्यशाला में उत्साहपूर्वक भाग लिया।

विभागीय विशेषज्ञों द्वारा प्रतिभागियों को सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्लस्टर विकास कार्यक्रम के विभिन्न प्रावधानों,लाभों एवं उद्देश्यों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई।कार्यशाला में एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य)क्लस्टर-आधारित विकास,प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि तथा पर्यावरण हितैषी उत्पादन को बढ़ावा देने पर विशेष बल दिया गया।अपने संबोधन में पी.एल.नेगी,महाप्रबंधक,जिला उद्योग केंद्र कुल्लू ने कहा,भारत सरकार द्वारा सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को क्लस्टर मॉडल में विकसित करने की पहल अत्यंत सराहनीय है।हिमाचल प्रदेश में उद्योग विभाग द्वारा इस कार्यक्रम का प्रभावी क्रियान्वयन स्थानीय उद्यमों को अधिक सशक्त,सक्षम और प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।बैठक में रेजिंग एंड एक्सेलेरेटिंग एमएसएमई परफॉर्मेंस योजना,सर्कुलर इकॉनमी आधारित औद्योगिक विकास,संसाधन दक्षता,उत्पादकता वृद्धि तथा छोटे उद्यमों को सुदृढ़ बनाने से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी विस्तृत चर्चा की गई।प्रतिभागियों ने अपने सुझाव साझा करते हुए एमएसएमई क्षेत्र में सहयोग,प्रशिक्षण और नवाचार की आवश्यकता पर जोर दिया।उद्योग विभाग ने राज्य के एमएसएमई क्षेत्र के सतत विकास के लिए निरंतर संवाद,ज्ञान-साझेदारी एवं प्रभावी नीति क्रियान्वयन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।विभाग ने हिमाचल प्रदेश को अधिक नवोन्मुखी,प्रतिस्पर्धी एवं सतत औद्योगिक विकास की दिशा में आगे बढ़ाने का संकल्प व्यक्त किया।
