लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने शुक्रवार को केरल के कोच्चि में अर्बन कॉन्क्लेव में भाग लिया।इस अवसर पर केंद्रीय आवासन एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर और केरल के मुख्यमंत्री पिणराई विजयन भी उपस्थित रहे। लोक निर्माण मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार का वर्ष 2040 तक हिमाचल को क्लाइमेट पॉजिटिव राज्य बनाने का लक्ष्य है,ताकि इसे वर्ष 2047 तक विश्व का अग्रणी पर्वतीय विकास मॉडल बनाया जा सके।उन्होंने कहा कि हिमालय हमें धैर्य और संतुलन की सीख देता है।इन्हीं मूल्यों के साथ आने वाली पीढ़ियों के लिए समृद्ध और जलवायु संवेदनशील हिमाचल का निर्माण संभव हो पाएगा।उन्होंने हिमाचल प्रदेश की पहाड़ी परिस्थितयों के अनुरूप जलवायु संवदेनशील शहरी विकास मॉडल साझा करते हुए अन्य राज्यों के साथ अपने अनुभवों का आदान-प्रदान किया।मंत्री ने ‘कल के पहाड़’ विजन के तहत जलवायु संवेदनशील शहरी विकास की व्यापक योजना प्रस्तुत करते हुए कहा कि हिमाचल ने शहरीकरण की तेज रफ्तार और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए विकास और संरक्षण को संतुलित करने का संकल्प लिया है।उन्होंने बताया कि पिछले 100 वर्षों में औसत तापमान में हुई 1.6 सेल्सियस वृद्धि और वर्ष 2023 और 2025 की अतिवृष्टि जैसी आपदाओं ने यह स्पष्ट किया है कि जलवायु अनुकूलन अति अनिवार्य है। प्रदेश ने इस दिशा में कार्य करते हुए क्लाइमेंट इंटेलिजेंस नेटवर्क,ढलानों की जैव इंजीनियरिंग से सुरक्षा,वर्षा जल संचयन झरनों का पुनर्जीवन और आधुनिक जल प्रबंधन जैसे कदम उठाए हैं।प्रदेश ने 5 हजार करोड़ रुपये का हिमाचल ग्रीन डेवलपमेंट फंड,कार्बन क्रेडिट से वार्षिक आय और पर्यटन आधारित इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड जैसी नवाचार पूर्ण योजनाएं शुरू की हैं।सरकार मंदिरों,वनों और पारंपरिक शिल्पकला को संरक्षित करते हुए प्रदेश की समृद्ध संस्कृति की पहचान को बनाए रखने के लिए प्रयासरत है।

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