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शिमला:हिमाचल प्रदेश में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में,ऊना में बनने वाले बल्क ड्रग पार्क को भारत सरकार के पर्यावरण,वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से पर्यावरणीय मंजूरी मिल गई है।इस मंजूरी से फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में देश की आत्मनिर्भरता बढ़ाने वाली इस बड़ी परियोजना के लिए रास्ता साफ हो गया है।

केमिकल्स और फर्टिलाइजर मंत्रालय,भारत सरकार ने 20 मार्च 2020 को बल्क ड्रग पार्कों को प्रोत्साहित करने की योजना शुरू की थी।इसके दिशा-निर्देश 21 जुलाई 2020 को तैयार किए गए।हिमाचल प्रदेश के उद्योग विभाग ने डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर जमा की,जिसे परियोजना प्रबंधन एजेंसी ने मंजूर किया और 11 अक्टूबर 2022 को स्कीम स्टीयरिंग कमेटी ने अंतिम स्वीकृति दी।ऊना बुल्क ड्रग पार्क की कुल लागत ₹2,071 करोड़ है,जिसमें से ₹996.45 करोड़ केंद्र सरकार की ग्रांट हैं और ₹1,074.55 करोड़ राज्य सरकार का योगदान है।इस परियोजना में लगभग ₹8,000 से 10,000 करोड़ का निवेश संभावित है और यह 15,000 से 20,000 लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित करेगा।

यह परियोजना पर्यावरण मूल्यांकन अधिसूचना की अनुसूची 7(ग) के अंतर्गत आती है,जिसके तहत पर्यावरणीय मंजूरी लेना अनिवार्य था।यह परियोजना हिमाचल प्रदेश बुल्क ड्रग पार्क इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड नामक विशेष प्रयोजन वाहन द्वारा क्रियान्वित की जा रही है,जो प्रदेश सरकार के उद्योग विभाग के अधीन कार्यरत है।पर्यावरण मंजूरी की प्रक्रिया 10 नवंबर 2023 को हुई पहली बैठक से प्रारंभ हुई थी,1अगस्त 2024 को प्रोजेक्ट के लिए टर्म्स ऑफ रेफरेंस की मंजूरी मिली,20 नवंबर 2024 को परियोजना स्थल पर सार्वजनिक सुनवाई सफलतापूर्वक संपन्न हुई,29 जनवरी 2025 को समीक्षा बैठक में साइट निरीक्षण के लिए उप-समिति बनाई गई,जिसने 30 अप्रैल 2025 को स्थल निरीक्षण किया।

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान,हमीरपुर और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान,रुड़की से तकनीकी रिपोर्ट प्राप्त कर विभिन्न पहलुओं जैसे जल निकासी,विकास योजना,भूकंपीय संवेदनशीलता आदि का गहन अध्ययन किया गया,2 सितंबर 2025 को हुई 414वीं बैठक में विशेषज्ञ समिति ने जल प्रबंधन,शून्य तरल निकासी,पर्यावरण संरक्षण व जोखिम प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए अंतिम पर्यावरणीय मंजूरी प्रदान की।मंजूरी में परियोजना क्षेत्र का 33% हरा-भरा क्षेत्र सुनिश्चित करना,विकास के लिए 65-70% क्षेत्र का उपयोग,कम से कम 10% सौर ऊर्जा का उपयोग,सतह और भूजल का संतुलन,नालों के आसपास बफर जोन और मिट्टी क्षरण रोकने के लिए जियो-टेक्सटाइल के उपयोग जैसे सुझाव शामिल हैं।समिति ने बायलर ईंधन के रूप में बायोमास और गैस पाइपलाइन का अधिकतम उपयोग करने तथा शून्य तरल निकासी सुविधा को यूटिलिटी के हिस्से के रूप में लागू करने पर भी बल दिया है।परियोजना की नियमित प्रगति की रिपोर्ट मंत्रालय को प्रस्तुत की जाएगी।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि बुल्क ड्रग पार्क हिमाचल प्रदेश को फार्मा निर्माण में अगुआ बनाने के साथ युवाओं के लिए रोजगार के बड़े अवसर उपलब्ध कराएगा।उद्योग मंत्री श्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि पर्यावरणीय मंजूरी विकास की अगली चरणों को तेजी से आगे बढ़ाने का रास्ता प्रशस्त करेगी और यह फार्मा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाएगी।उद्योग विभाग के निदेशक डॉ.यूनुस ने इस परियोजना को समयबद्ध ढंग से पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई,जिससे API/KSM पर विदेशों की निर्भरता कम की जा सके।

यह परियोजना भारत सरकार के फार्मास्यूटिकल विभाग की “बल्क ड्रग पार्क प्रोत्साहन योजना”के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए और पर्यावरण मंत्रालय के परामर्शानुसार विकसित की जाएगी।इस महत्वपूर्ण कदम से हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक विकास में नए आयाम जुड़ेंगे और प्रदेश के युवाओं के लिए नए रोजगार सृजन के अवसर उत्पन्न होंगे।

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