सांसद अनुराग सिंह ठाकुर ने बुधवार को संसद में चर्चा के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन को लिखी चिट्ठी पर सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर इंदिरा गांधी को अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने गिड़गिड़ाने की जरूरत क्यों पड़ी व 1971 की लड़ाई में बलिदान तो भारतीय सेना ने दिया मगर आयरन लेडी का तमगा किसी और को क्यों मिला,जो जंग सेना ने मैदान में जीती थी,वह इंदिरा गांधी मेज पर हार गईं।यह देश तय करे कि उस समय की सरकार आयरन थी कि आयरनी (विडंबना)थी।उन्होंने कहा कि 3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान द्वारा भारत के पश्चिमी मोर्चों पर हमले किए जाने के बाद 5 दिसंबर को इंदिरा गांधी ने निक्सन को चिट्ठी लिखी थी,मगर अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन को लिखी चिट्ठी में आखिर इंदिरा गांधी एक याचक की तरह क्यों गिड़गिड़ा रही थीं।तत्कालीन प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति से पाकिस्तान पर अपने प्रभाव का प्रयोग करने और भारत के विरुद्ध उसकी आक्रामक गतिविधियों को रोकने का आग्रह भारत को शर्मिंदा करते हुए आखिर इतने हल्के शब्दों में क्यों किया था।उन्होंने कहा कि क्या इंदिरा गांधी को उस समय भारत की सेना पर विश्वास नहीं था या अपनी सरकार पर विश्वास नहीं था,जो अमेरिका के राष्ट्रपति के सामने हाथ फैलाना पड़ा।अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी देश को जवाब दें कि आखिर यह चिट्ठी क्यों लिखी गई थी।राष्ट्रपति निक्सन को लिखे अपने पत्र में इंदिरा ने लिखा था कि सरकार और भारत की जनता आपसे आग्रह करती है कि आप पाकिस्तान को उस अनियंत्रित आक्रामकता और सैन्य दुस्साहस की नीति से तुरंत बाज आने के लिए राजी करें,जिस पर वह दुर्भाग्य से चल पड़ा है।क्या मैं महामहिम से अनुरोध कर सकती हूं कि आप पाकिस्तान सरकार पर अपने प्रभाव का प्रयोग करके भारत के विरुद्ध उनकी आक्रामक गतिविधियों को रोकें।भारत उम्मीद करता है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय हमारी दुर्दशा को समझेगा और हमारे उद्देश्य की न्यायसंगतता को स्वीकार करेगा।अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि ऑप्रेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष ने कई हल्की बातें कहीं,जिसमें उन्होंने 50 प्रतिशत दम दिखाने की बात कही।उन्होंने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि शून्य का 50 प्रतिशत भी शून्य ही होता है और उस युद्ध में आपका योगदान शून्य ही था।

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