
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सराज क्षेत्र में प्रकृति ने ऐसा विकराल रूप दिखाया कि बाड़ा पंचायत के घ्याहण गांव में एक हंसता-खेलता परिवार पल भर में बिखर गया।रात करीब एक बजे हुए भीषण भूस्खलन ने गिरधारी लाल के दस कमरों के मकान को मलबे में बदल दिया,जिसमें उनकी 86 वर्षीय मां मंघरी देवी और 33 वर्षीय बेटे विधि चंद की दर्दनाक मौत हो गई।यह घटना मंडी जिले की चच्योट तहसील में हुई,जिससे पूरे गांव में मातम का माहौल है।गिरधारी लाल अपने तीन बेटों विधि चंद,कमल और तुलसी के साथ मकान के अलग-अलग कमरों में रह रहे थे।भूस्खलन होते ही,विधि चंद ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए अपने परिवार के अन्य सदस्यों को सुरक्षित बाहर निकाला।लेकिन जब वह अपनी दादी मंघरी देवी को बचाने के लिए दोबारा घर के अंदर गए,तो दुर्भाग्यवश मलबे ने दोनों को अपनी चपेट में ले लिया।इस हृदय विदारक घटना में विधि चंद और मंघरी देवी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।इस आपदा में गिरधारी लाल,उनकी बहू सरला देवी (विधि चंद की पत्नी)और उनके दो छोटे बेटे संजय कुमार और दिव्यांशु भारद्वाज भी घायल हो गए।उन्हें तुरंत राहत और बचाव दल की मदद से अस्पताल पहुंचाया गया।स्थानीय पंचायत प्रधान जिमा देवी ने बताया कि भूस्खलन के बाद गांव में चीख-पुकार मच गई।तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद मलबे से दोनों शवों को निकाला जा सका।यह मंजर इतना दर्दनाक था कि हर कोई सन्न था।गिरधारी लाल की आंखों के सामने उनकी मां और बेटे को काल ने छीन लिया।इस भूस्खलन से केवल गिरधारी लाल के घर को ही नहीं,बल्कि गांव के अन्य घरों को भी भारी नुकसान हुआ है।घ्याहण गांव में गहरा शोक पसरा है।हर आंख नम है और लोग इस प्राकृतिक आपदा के बाद सदमे में हैं।कुदरत का यह कहर घ्याहण गांव के लिए एक ऐसा गहरा घाव छोड़ गया है,जिसे भरने में शायद सालों लग जाएंगे।
