
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि भारतीय सनातन संस्कृति का हृदय कुंभ परंपरा में समाहित है।यह परंपरा केवल धार्मिक नहीं,बल्कि आध्यात्मिक,सांस्कृतिक,और बौद्धिक समृद्धि का स्रोत रही है।राज्यपाल उत्तरप्रदेश के प्रयागराज महाकुम्भ-2025 में आयोजित ‘‘व्याख्यान माला’’ में ‘भारत की गौरव गाथा-आत्महीनता की भावना’ विषय पर बोल रहे थे।उन्होंने कहा कि कुंभ का मंच केवल विचारों के आदान-प्रदान तक सीमित नहीं है,बल्कि यह हमारी सभ्यता के अद्वितीय गौरव को पहचानने और उसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का अवसर भी प्रदान करता है।उन्होंने कहा कि भारत विश्व की सबसे प्राचीन और महान सभ्यताओं में से एक है।हमारे गौरवशाली इतिहास की अमिट गाथाएं पूरे विश्व को प्रेरित करती हैं।उन्होंने कहा कि भारत की गौरवशाली परंपरा के कारण ही आज विश्व में भारत का बड़ा और शक्तिशाली होना विश्व की जरूरत भी है।भारत की परंपरा धर्म आधारित अर्थ,काम और मोक्ष की परंपरा रही है।श्री शुक्ल ने कहा कि यह विडंबना है कि जिनके पास ‘वसुधैव कुटुंबकम’जैसी व्यापक दृष्टि थी,वे अपने ही गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक विरासत को विस्मृत करने के लिए विवश हो गए।उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने न केवल हमारी संपत्ति और संसाधनों का शोषण किया,बल्कि हमारी मानसिकता को भी कमजोर करने का प्रयास किया।इस मानसिकता का असर आज भी हमारे व्यवहार और दृष्टिकोण में झलकता है।राज्यपाल ने कहा कि आत्महीनता की भावना हमारे विकास में सबसे बड़ी बाधा है।उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को उनके अतीत की भव्यता का एहसास करवाने और उनमें आत्मगौरव का भाव उत्पन्न करने की आवश्यकता है।उन्होंने कहा कि भारत का भविष्य तभी उज्ज्वल होगा जब हम ‘‘आत्मगौरव’’को जगाने में सफल होंगे।यही कुंभ जैसे आयोजनों का उद्देश्य है।
