
सीपीएस को बचाने के लिए मुख्यमंत्री करोड़ों रुपए उड़ा रहे हैं।यह बात पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने जारी एक बयान में कही।उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुखिया हिमाचल के विकास और जनहित के बजाए सीपीएस को बचाने में लगे हैं।हाईकोर्ट द्वारा सीपीएस को हटाने के आदेश देने के बाद भी सरकार उन्हें बचाने की कोशिश में लगी है और प्रदेश के विकास में खर्च किए जा सकने वाला बजट वकीलों को हायर करने में खर्च किया जा रहा है।सरकार का यह रवैया दुर्भाग्यपूर्ण है,जिससे प्रदेश के संसाधन और ऊर्जा सरकार की जिद के कारण अन्यत्र बर्बाद हो रही रही है।प्रदेश के हितों के बजाए मित्रों के हितों पर करोड़ों लुटाना किसी भी विजनरी मुख्यमंत्री का काम नहीं हो सकता है।इसी से सरकार की प्राथमिकता का पता चलता है कि सरकार के लिए प्रदेश का हित नहीं अपनी और मित्रों की कुर्सी है।उन्होंने कहा कि अब तक सरकार इस मामले में सिर्फ लीगल फीस के रूप में लगभग 10 करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च कर चुकी है और आगे भी यह सिलसिला रुकने वाला नहीं है।जबकि सरकार दो वर्ष से सैंट्रल यूनिवर्सिटी के जमीन के पैसे जमा नहीं करवा पाई है,जिसकी वजह से सैंट्रल यूनिवर्सिटी का कैंपस नहीं बन पा रहा है।हिम केयर का बजट नहीं दिया जा रहा है।सहारा की पैंशन और शगुन का बजट नहीं दिया जा रहा है।बीमार इलाज को तरस रहे हैं,दवाई और जांच के लिए भटक रहे हैं।मैडीकल स्टूडैंट्स स्टाइफंड के लिए तरस रहे हैं।कर्मचारी अपने मैडीकल बिल के लिए भटक रहे हैं,पैंशनर्स पैंशन की राह देख रहे हैं और इतने महत्वपूर्ण कामों को छोड़कर सरकार सीपीएस बचाने में जीजान से जुटी हुई है।
