नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान हिमाचल प्रदेश के लिए कांग्रेस द्वारा दिए गए झूठे वादों से पूरा देश सबक ले रहा है।पूरे देश में चर्चा है कि सरकार झूठे वादों के जरिए हिमाचल प्रदेश की जनता को धोखा दे रही है।हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार विधानसभा चुनाव के दौरान की गई वादों के बिल्कुल उलट काम करने वाली सरकार है,लाखों नौकरियां देने की घोषणा की लेकिन लाखों स्वीकृत पदों को समाप्त कर दिया,12 हजार से अधिक लोगों को नौकरी से निकाल दिया और अब 1000 से अधिक पदों पर कार्यरत लोगों को नौकरी से निकालने की पूरी कोशिश कर रही है।इस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है।जब उन्होंने स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने की बात की तो उन्होंने प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को बर्बाद कर दिया।जब उन्होंने 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने की बात की तो उन्होंने पिछली सरकार द्वारा दी जा रही 125 मिनट की बिजली सब्सिडी बंद कर दी और 300 यूनिट बिजली खपत करने पर घरेलू बिल से अधिक चार्ज करने की योजना भी बना दी।यह सरकार केवल अपने मित्रों और सहयोगियों पर ही मेहरबान रही है और उन पर सरकारी धन बर्बाद किया है। प्रदेश की प्राथमिकताओं का यह हाल है कि वह केंद्रीय विश्वविद्यालय के भवन निर्माण की औपचारिकताओं से संबंधित 30 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं कर रही है। जबकि वह अपने विधायकों को असंवैधानिक रूप से मुख्य संसदीय सचिव बनाने और उनकी नियुक्ति को सही ठहराने पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है।जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पूरे देश में कांग्रेस सरकार की तारीफ करते नहीं थकते और कहते हैं कि कांग्रेस अपनी गारंटियां बखूबी निभाती है और हमने हिमाचल में सभी गारंटियां लागू की हैं।प्रदेश की जनता जानती है कि सरकार ने सभी गारंटियों को कितने अच्छे तरीके से लागू किया है। आज प्रदेश में सभी विकास कार्य ठप्प पड़े हैं दो साल के कार्यकाल में सरकार ने एक भी युवा को भर्ती करके नौकरी नहीं दी है,प्रदेश के कर्मचारियों को यह भी नहीं पता कि अगले महीने उनका वेतन आएगा या नहीं अन्य सुविधाओं की तो बात ही छोड़िए,कर्मचारियों के मेडिकल बिल लंबित हैं अन्य सभी सुविधाएं बंद हैं,सरकार हर महीने हजारों करोड़ रुपये का कर्ज लेती है,22 महीने के कार्यकाल में ही सरकार द्वारा 25000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज लिया जा चुका है,इसके बाद भी सरकार कहती है कि वह हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाना चाहती है,सरकार को अन्य बातें छोड़कर सिर्फ यह बताना चाहिए कि यह पैसा कहां जा रहा है?नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश में हर तरफ अराजकता का माहौल है।सरकार आम आदमी की नहीं सुन रही है।राजधानी की सड़कों पर कोई न कोई धरना या आंदोलन चल रहा है,जिसे सरकार बलपूर्वक कुचलने का प्रयास करती है।आज भी वोकेशनल ट्रेनर इस कड़ाके की ठंड में चौड़ा मैदान में जमे हुए हैं और अपना हक मांग रहे हैं।परिवहन निगम के पेंशनरों की पेंशन का भुगतान भी समय पर नहीं हो रहा है,जिसके लिए उन्हें हर बार आंदोलन करना पड़ रहा है और आत्मदाह की धमकी भी दे रहे हैं।सरकार हर दिन किसी न किसी योजना को बंद करने,उसमें मिलने वाले लाभों को सीमित करने या लाभार्थियों को योजना से बाहर करने का कदम उठाती है।जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश के कर्मचारियों की ओर से कई शिकायतें मिल रही हैं कि उनका जीपीएफ बिल पास नहीं हो रहा है।जीपीएफ पूरी तरह से कर्मचारी का पैसा है जिसे वह भविष्य की जरूरतों और आवश्यकताओं के लिए अपने खर्चों में कटौती करके बचाता है।ताकि समय आने पर वह इसे निकाल सके।कर्मचारी यह पैसा अपने बच्चों की पढ़ाई और शादी,घर बनाने,संपत्ति खरीदने के लिए बचाता है।जब जरूरत पड़ने पर कर्मचारी अपना जीपीएफ निकालना चाहता है तो उसकी मेहनत से कमाई गई रकम नहीं निकल पा रही है।मुख्यमंत्री को इस मामले में प्रदेश को जवाब देना चाहिए कि ऐसी शिकायतें क्यों आ रही हैं?इस मामले की सच्चाई क्या है?प्रदेश सरकार विधानसभा में बता चुकी है कि उसने कर्मचारियों के जीपीएफ के एवज में 2810 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है।

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