नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार में एक और घोटाला सामने आया है।यह घोटाला ट्रामा सेंटर में मैन पॉवर उपलब्ध करवाने के नाम पर हुआ।डेढ़ साल से बंद पड़ा आईजीएमसी का नव निर्मित ट्रामा सेंटर सिर्फ कागजों में चल रहा था और वहां पर अलग-अलग समय में सपोर्टिव और पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति ठेकेदार के माध्यम से कर दी गई थी।अपने चहेतों को लाभ दिलवाने के लिए सभी कायदे कानून ताक पर रख दिए गए।एक बंद पड़े ट्रामा सेंटर में सैकड़ों कर्मचारी की नियुक्ति की गई और बिना एक भी मरीज का इलाज किए ट्रामा सेंटर के मैन पॉवर के नाम पर दो करोड़ तीस लाख का बिल सरकार पर लाद दिया गया।गौरतलब है कि मैन पॉवर के लिए आने वाले खर्च को केंद्र सरकार द्वारा उठाया जा रहा है।यह केंद्र द्वारा जनहित के लिए भेजे गए पैसों की खुलेआम लूट है।फाइनेंस प्रूडेंश और फाइनेंस डिसिप्लिन के नाम पर कर्मचारियों का वेतन और पेंशनधारकों की पेंशन रोकने वाले वाले मुख्यमंत्री की नाक के नीचे इस तरह से जनहित के काम में आने वाले पैसों को अपने चहेतों में बांटा जा रहा है।जयराम ठाकुर ने कहा कि हर दिन सुक्खू सरकार के कारनामें बाहर आ रहे हैं।नया मामला लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ के साथ साथ केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए पैसे की बंदरबांट का है।केंद्र सरकार के सहयोग से बने आईजीएमसी के ट्रामा सेंटर का उद्घाटन मुख्यमंत्री ने फीता काटने और पट्टिका लगवाने के शौक में मुख्यमंत्री ने पिछले साल 09 मार्च को कर दिया और उसी के साथ ही मैन पॉवर की भर्ती के लिए अपने चहेते ठेकेदारों को ऑर्डर भी दे दिया।अपेक्षित मैनपॉवर को ठेकेदारों ने ट्रामा सेंटर में नियुक्ति भी दे दी लेकिन सरकार ट्रामा सेंटर को फंक्शनल करना भूल गई। बिना इलाज किए हर महीनें ठेकेदार का बिल बनता रहा। धीरे-धीरे बढ़कर यह राशि 2 करोड़ 30 लाख हो गई।जिससे भुगतान के लिए अब ठेकेदारों ने जोर लगाना शुरू कर दिया। बीते कल ट्रामा सेंटर के फंक्शनल करने आए मुख्यमंत्री से भी ट्रामा सेंटर में तैनात कर्मचारियों ने मुलाकात की और वेतन न मिलने की शिकायत की।इसको लेकर कई बार प्रदर्शन भी किया जा चुका है।नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अस्पताल प्रशासन ने विभिन्न समय पर ट्रामा सेंटर के लिए अलग-अलग पदों पर जिसमें सपोर्टिव स्टाफ और पैरामेडिकल स्टाफ शामिल है के लिए भर्तियां निकाली और आउट सोर्स के माध्यम से उन्हें भरा गया।सूचना के अधिकार के तहत हासिल किए गए डॉक्यूमेंट के आधार पर पता चलता है कि रेडियो ग्राफर,फार्मासिस्ट,वार्ड बॉय ट्रॉली मैन सफाई कर्मचारी के कुल 126 पदों पर अलग-अलग समय में नियुक्तियां हुई।हैरानी की बात है कि जो ट्रॉमा सेंटर आज फंक्शनल हुआ है उसके लिए कई महीनों या साल भर पहले से ही कर्मचारियों की नियुक्ति का क्या औचित्य है?इसके साथी प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को इस बात का भी जवाब देना चाहिए कि उन्होंने ट्रॉमा सेंटर को फंक्शनल करने में 19 महीने का वक्त क्यों लगाया?क्या बने बनाए प्रोजेक्ट का बार-बार फीता काटना ही व्यवस्था परिवर्तन है।

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