
वर्ष 2000 में केवल छह विधायकों,2005 में दो और 2009 में चार विधायकों के साथ भाजपा अब हरियाणा में 48 सीटों पर पहुंच गई है,यह प्रदर्शन 2014 की सफलता से भी आगे निकल गया है,जब पार्टी पहली बार अपने दम पर सत्ता में आई थी,सत्ता विरोधी लहर के बावजूद,राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी ने सत्ता बरकरार रखी है और विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की वापसी की कोशिश को रोक दिया,भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में कांग्रेस की उम्मीदों को तोड़ते हुए और 10 साल की कथित सत्ता विरोधी लहर को बेअसर करते हुए शानदार जीत हासिल की और सत्ता की ‘हैट्रिक’ लगाई।

वहीं,जम्मू-कश्मीर में 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद पहली बार कराए गए विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन ने शानदार जीत हासिल की।

हरियाणा विधानसभा चुनाव से महज छह महीने पहले मनोहर लाल खट्टर को अप्रत्याशित रूप से हटाकर मुख्यमंत्री बनाए गए 54 वर्षीय नायब सिंह सैनी के अपने पद पर बने रहने की संभावना है,वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने घोषणा की है कि उनके बेटे और पार्टी नेता उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री होंगे।

उमर इससे पहले 2009 से 2014 तक तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं,हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजों ने ‘एग्जिट पोल’ के अनुमानों को भी गलत साबित कर दिया है।
