विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के दौर में बौद्धिक संपदा की सुरक्षा बड़ी चुनौती:प्रो.वर्मा।

विज्ञान प्रौद्योगिकी के दौर में बौद्धिक संपदा की सुरक्षा करना वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौती है।यह बात हिमाचल प्रदेश विश्वविद्याल के प्रित-कुलपति प्रो.राजिंदर वर्मा ने बौद्धिक संपदा कानून-मुद्दें एवं चुनौतियां विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान कही,कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो.वर्मा ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति सृजनात्मक होता है परंतु बहुत कम ऐसे होते हैं जिन्हें बौद्धिक संपदा कानून के बारे में जानकारी होती है।बौद्धिक संपदा कानून एवं आधिकारों पर विमर्श करने का यह सबसे सही समय है।हिमाचल प्रदेश विश्वविद्याल पंचवर्षीय विधिक अध्ययन संस्थान शिमला द्वारा आयोजित इस एक दिवसीय कार्यशाला में देशभर से दो सौ से ज्यादा प्रतिभागियों नें हिस्सा लिया और बौद्धिक संपदा कानून से जुड़े विभिन्न आयामों जैसे कॉपीराइट,पेटेंट,ट्रेडमार्कस् पर व्यवहारिक जानकारी हासिल की।

पंजाब विश्विद्यालय विधि विभाग के आधिष्ठाता प्रो.दविंदर सिंह नें बताया कि बौद्धिक संपदा कानून पर कार्यशाला आयोजित करना एक सार्थक कदम है और इससे कानून के विद्यार्थियों को विशेष लाभ होगा।पंजाब विश्विद्याल विधि विभाग की प्रो.ज्योति रत्तन ने अपने उद्बोधन में कहा कि बौद्धिक संपदा कानून वर्तमान समय में एक उभरता क्षेत्र है और कानून के विद्यार्थियों के लिए इस कानून से जुड़ा आधारभूत सैधांतिक एवं व्यवहारिक ज्ञान होना अति आवश्यक है।साथ ही यूएनडीपी के साथ स्वतंत्र सलाहाकर के तौर पर कार्यकरत प्रो.नीलिमा जयरथ ने कहा कि इस क्षैत्र की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि नव अन्वेषणों के साथ कानून के क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को अवगत एवं जागरुक रहना बहुत महत्वपूर्ण है।

कार्यशाला में प्रो.एनके गुप्ता,डॉ.वैशाली ठाकुर,डॉ.शिवा सतीष,डॉ.वनीता खन्ना ने समानांतर सत्रों के दौरान बौद्धिक संपदा कानून से जुड़े अलग-अलग पहलुओं पर चर्चा की।

कार्यशाला के संयोजक एवं विधिक अध्ययन संस्थान के निदेश्क प्रो.शिव कुमार डोगरा ने सभी प्रतिभागियों का धन्यावाद किया एवं कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए आयोजक समिति को बधाई दी।कार्यशाला की समन्वयक ड़ॉ.वीना चंदेल ने सभी प्रतिभागियों को कार्यशाला की विस्तृत जानकारी दी। इस दौरान कार्यशाला की सह-समन्वयक डॉ.करुणा मछान,आयोजक सचवि डॉ.अंजना कुमारी एवं अन्य शिक्षक भी मौजूद रहे।
