
मंकी पॉक्स वायरल बीमारी को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जारी की है।वहीं इस संबंध में वीरवार को स्वास्थ्य सचिव हिमाचल प्रदेश की अध्यक्षता में एक बैठक भी आयोजित की गई।बैठक में निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, निदेशक चिकित्सा शिक्षा,जिलों के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारी,प्रधानाचार्य सरकारी मैडीकल कालेजों और चिकित्सा अधीक्षकों ने भाग लिया।बैठक में स्वास्थ्य सचिव ने वर्तमान स्थिति की समीक्षा की तथा सभी अधिकारियों को मंकी पॉक्स बीमारी और इससे संबंधित लक्षणों की संवेदनशीलता के संबंध में अवगत करवाया।इसके अतिरिक्त चिकित्सा अधिकारियों,स्टाफ नर्सों,सीएचओ और स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं से जिलों में बैठक आयोजित करने के भी निर्देश दिए।बैठक के दौरान स्वास्थ्य सचिव ने सभी जिलों को निर्देश दिए कि वे जिला स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में बुखार,संबंधित सभी रोगसूचक मामलों की मंकी पॉक्स बीमारी के लिए जांच की जाए,सभी मैडीकल कालेजों,जिला अस्पतालों में कम से कम 5 से 6 आइसोलेशन बैड की सुविधा रखी गई है और निर्देश दिए कि मंकी पॉक्स बीमारी से सम्बन्धित पर्याप्त तैयारी रखें।

क्या है मंकी पॉक्स वायरल।
मंकी पॉक्स एक वायरल जूनोटिक बीमारी है।इसे पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पहचाना गया था,इसलिए इसका नाम मंकी पॉक्स पड़ा।बैठक के दौरान स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह एक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय है,जो पश्चिम और मध्य अफ्रीका के देशों को ही प्रभावित नहीं करता है,बल्कि दुनिया के बाकी हिस्सों को भी प्रभावित करता है। हालांकि बीमारी के प्रभाव का सही अनुमान नहीं है।चिकित्सकों के अनुसार सूजी हुई लिम्फ नोड,बुखार,सिरदर्द, शरीर में दर्द और कमजोरी आदि है तो यह संभवत मंकी पॉक्स भी हो सकता है।ऐसे में सतर्क रहने की जरूरत है।
