भीम आर्मी भारत एकता मिशन के प्रदेश संयोजक रवि कुमार दलित ने बजट पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का यह बजट उद्योगपतियों को खुश करने वाला है,बजट में देश के मजदूर,किसान,युवा, बेरोजगारों,महिलाओं और बहुजनों को कुछ भी नहीं दिया गया है।केंद्र सरकार की अनदेखी से देश की जनता को भारी निराशा हुई है।उन्होंने कहा कि देश की जनता ने इस बजट से जो उम्मीदें लगा रखी थी,बजट उन उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है और देश के अनुसूचित जाति,जनजाति और पिछड़ा वर्ग अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है।यह बजट रोजगार,महंगाई और 140 करोड़ जनता की मूलभूत सुविधाओं के मुताबिक नहीं है।

उन्होंने कहा कि बजट 2024 में गरीब,वंचित,एससी,एसटी,ओबीसी और अल्पसंख्यक समाज के आर्थिक विकास के लिए अलग से कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया है।शिक्षा बजट इतना कम दिया गया कि अगर 28 राज्यों में बांट दिया जाए तो एक के हिस्से में 4400 करोड़ आएंगे।जबकि अकेले दिल्ली सरकार के शिक्षा बजट 16300 करोड़ से ज्यादा है।केंद्र सरकार ने देश का बजट पेश किया है तो इनको इस बारे सोचना चाहिए था।उन्होंने कहा स्वास्थ्य बजट के नाम पर केंद्र सरकार ने बीमा के सिवा कुछ भी नहीं दिया।देश के स्वास्थ्य सिस्टम को पटरी पर लाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और डॉक्टर्स की उपलब्धता के लिए जितने बजट की जरूरत है।सरकार ने उससे 75 फ़ीसदी कम बजट दिया है जोकि देश के नागरिकों के लिए कतई अच्छा नहीं है।लेकिन सरकार खुद ही अपनी पीठ थपथपा रही है।

रवि कुमार दलित ने कहा कि देश की जनता को उम्मीद थी कि बजट में 5 लाख तक की आय को टैक्स फ्री किया जाएगा लेकिन 3 लाख की आय पर इनकम टैक्स लगाकर केंद्र सरकार ने मिडिल क्लास के साथ धोखा किया है।जबकि बरमूडा,ओमान,कतर,यूएई समेत दुनिया के 16 देशों की सरकारें बिना इनकम टैक्स लिए चलती है,सरकार को इस सिस्टम पर विचार करना चाहिए ताकि देश की आम जनता को राहत मिल सके।उन्होंने सरकार पर तंज करते हुए कहा कि यह बजट अमीरों को रिबेट और मिडल क्लास को डिबेट पर आधारित है।उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने बजट में एक बार फिर देश के अन्नदाता किसानों के साथ बड़ा धोखा किया है।सभी को आस थी कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण बजट में एमएसपी की मांग को स्वीकार करेगी। लेकिन उन्होंने किसानों की मांगों को बजट में दरकिनार कर दिया।जो किसी भी हाल में देशहित में नहीं है।केंद्र सरकार ने किसानों को एक बार फिर जुमलों में उलझा दिया है।सबसे बड़ी बात युवाओं को इंटर्नशिप का झुनझुना पकड़ाकर बेरोजगारी की मूल समस्या से किनारा कर लिया गया है। जैसे सरकार के पास इस बात का उत्तर नहीं की अग्निवीर बाद में क्या करेंगे? वैसे ही इंटर्नशिप करके युवा क्या करेंगे इस बात का भी उत्तर बजट में नहीं मिलता।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *