
नट सम्राट’अप्पा बेलवेलकर गेयटी में लोगों को हिला गया और रुला भी गया।स्टेज पर झंडा गाड़ने के लिए ‘नट सम्राट’ घोषित एक्टर,गणपत राव बेलबेलकर रिटायर होकर घर पहुंचता है।मंच पर कई चरित्रों को जीने वाला बेलवलकर पारिवार के मंच पर टूट जाता है, बिखर जाता है,और कहता है- बेटा-बेटी नाते-रिश्ते कुछ नहीं है, सिर्फ सीढ़ियां हैं,सीढ़ियां—-।अप्पा बेलवलकर अंत में बुरी तरह टूट कर शेष हो जाता है।

भूपेंद्र शर्मा के कुशल निर्देशन में ‘नट सम्राट’ नाटक दर्शकों को भावविभोर कर गया।अप्पा (परमेश शर्मा) पत्नी कावेरी (रेखा) के सामने अपनी संपत्ति बेटा नंदा (मोहित) बेटी नलू (रश्मि) में बराबर बांट देता है।तय होता है कि रिटायरमेंट के बाद दोनों मां-बाप कुछ दिन बेटे के पास और कुछ दिन बेटी के पास रहेंगे।पोती सुहास (आराध्या) से अप्पा को विशेष लगाव है।बहु सारदा नहीं चाहती कि अप्पा व सुहास आपस में घुले-मिले जो परिवार में तनाव का कारण बनता है।

बेटा बहू की उपेक्षा व प्रताड़ना के शिकार दोनों मां-बाप बेटी नलू के घर का रुख करते हैं।बेटी के घर में भी अप्पा पर चोरी का झूठा इल्जाम लगता है।इस सदमें से कावेरी चल बसती है।अप्पा अपने बेटी दामाद के घर से चुपचाप निकल जाता है।मुंबई में उसकी भेंट एक सड़क छाप लड़के राजा से होती है।राजा को माता-पिता ने तो अप्पा को बेटा बेटी ने घर से निकाला है।अंत में अप्पा को ले जाने आए परिवारजन को निराशा हाथ लगती है जब अप्पा परिवार के बजाय राजा के साथ रहना पसंद करता है।

गेयटी ड्रैमेटिक सोसाइटी के इस नाट्य मंचन पर मुख्य अतिथि देवेश कुमार,प्रधान सचिव (वित्त) ने कलाकारों की हौसलाअफजाई करते हुए कहा कि 70 के दशक में लिखा गया यह नाटक आज भी प्रासंगिक है।इस अवसर पर भाषा कला संस्कृति विभाग के संयुक्त निदेशक मनजीत शर्मा शिमला की वरिष्ठ रंग गर्मी प्रवीण चंदला,प्रोफेसर कमल मनोहर शर्मा जवाहर कॉल केदार ठाकुर सहित अन्य गण्यमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
