
Shimla ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के हलोग धामी में दिवाली के दूसरे रोज सदियों से चली आ रही पत्थर के खेल की अनोखी परंपरा को पूरे उत्साह और जोश से निभाया गया। सोमवार दोपहर बाद करीब साढ़े तीन बजे शुरू हुए पत्थर के खेल में दोनों ओर से करीब आधा घंटा तक पत्थरों की बरसात हुई।सती का शारड़ा चबूतरे के दोनों ओर खड़ी टोलियों जठोती और जमोगी के बीच जमकर एक-दूसरे के ऊपर पत्थरबाजी हुई।अंत में जठोती के अक्षय वर्मा (23) और जमोगी के दलीप वर्मा को पत्थर लगने के बाद खेल समाप्त किया गया।इन दोनों के सिर से निकले खून से भद्रकाली के मंदिर में जाकर तिलक कर परंपरा को पूरा किया गया।दोनों को प्राथमिक उपचार दिया गया।ढोल नगाड़ों की थाप के साथ हुए इस पत्थर के खेल में सैंकड़ों युवाओं ने भाग लिया,वहीं हजारों की भीड़ ने खेल देखने का आनंद लिया।खेल का चौरा में आधे घंटे तक ट्रैफिक बंद किया गया था,जिससे धामी-शिमला और धामी-गलोग सड़क पर वाहनों की आवाजाही नहीं हुई।राज परिवार के उत्तराधिकारी जगदीप की अगुवाई में निकली शोभायात्रा राज दरबार में स्थित नरसिंह देवता के मंदिर में पूजा-अर्चना किए जाने के बाद पुजारी देवेंद्र भारद्वाज ने राज परिवार के उत्तराधिकारी जगदीप सिंह को रक्षा का फूल दिया गया।इस फूल के साथ दरबार से मेला स्थल खेल का चौरा के लिए ढोल-नगाड़ों के साथ शोभायात्रा निकली।इसमें कंवर देवेंद्र सिंह,दुष्यंत सिंह,रणजीत सिंह,गोविंद सिंह,देवेंद्र भारद्वाज सहित अन्य आयोजकों ने भाग लिया।सती का शारड़ा खेल चौरा पहुंचने पर पत्थर के खेल को शुरू करने का इशारा हुआ।

नर बलि के विकल्प के रूप में शुरू हुई थी प्रथा।
धामी रियासत के उत्तराधिकारी जगदीप सिंह ने बताया कि सैकड़ों वर्ष पूर्व रियासत और क्षेत्र की जनता की सुख-शांति के लिए क्षेत्र में नरबलि की प्रथा थी।इसके विकल्प के रूप में यहां की सती हुई रानी ने नरबलि की जगह इस खेल को करवाने की प्रथा शुरू की,जिससे किसी की जान भी न जाए,क्षेत्र में सुख-शांति रखने को भद्रकाली के मंदिर में खून से मानव खून का तिलक कर परंपरा का निर्वाह भी हो जाए। तब से लेकर इसी अंदाज में इस पत्थर के खेल का आयोजन राज परिवार करवाता आ रहा है।
