
इंदौरा विधानसभा की उप तहसील गंगथ सिद्दपीठ श्री बाबा क्यालु जी महाराज की ऐतिहासिक नगरी को भांडयां वाला यानी बर्तन बाजार के शहर के नाम से भी बखूबी जाना जाता है।जिला कांगड़ा का यह कस्बा पीतल के बर्तनों और बलटोहियों को तैयार करने का एक प्रमुख स्थान भी है।करीब तीन दशक पहले कस्बा में उक्त बर्तनों काे बनाने के बहुत कुशल कारीगर थे,जो पीतल के सारे बर्तन बनाकर गांव-गांव जाकर बेचते थे।

जिसमें बलटोही,गागर,बाल्टी और अन्य पीतल के बर्तन शामिल रहते थे फिर आसपास के बाजार भी विकसित हो गए और बाजारों में रेडीमेड और स्टील के माल की दस्तक भी भारी मात्रा में हो गई जिसके चलते अनेक भियां बंद हो गईं।लेकिन कस्बा की आज भी करीब पांच भियां कार्यरत हैं यहां पर उक्त कस्बे के कारीगर पीतल की बलटोही बनाकर अपनी दुकानों पर बेचते हैं और आज भी इनके खरीददार यहां पर हैं।जिला कांगड़ा के साथ-साथ सीमावर्ती राज्यों के लोग आज भी यहां की तैयार हुई बलटोहियों को ही अधिमान देते हैं।त्योहारी सीजन में इनकी मांग और भी बढ़ती है।

क्या है बलटोही,कैसे होती है तैयार।
यह पीतल का बड़ा बर्तन है,जो एक बड़े मटके के आकार का होता है इसमें सामाजिक,धार्मिक व अन्य समारोहों में बनने वाली धाम के दौरान भोजन तैयार किया जाता है,जो बहुत ही स्वादिष्ट होता है।अलग-अलग साइज की बलटोही बनाने के लिए पहले मिट्टी का सांचा बनाया जाता है जो दो भागों में होता है।फिर पीतल को पिघलाकर मिट्टी के सांचे पर ढाला जाता है।

पीतल के ठंडा होने के बाद दोनों भागों को निकालकर जोड़ दिया जाता है और फिर एक बलटोही तैयार होती है।अलग अलग साइज की बलटोही 10 किलो से लेकर 40 किलोग्राम भार तक की होती है,जिसका बाजार में मूल्य 8 से 32 हजार के करीब तक होता है।

स्थानीय व्यापारी सुनील गुप्ता ने बताया कस्बा गंगथ कभी बर्तनों का शहर के नाम से विख्यात था,जिसे अब भी भांडयां वाला शहर भी कहा जाता है।यहां तमाम पीतल के बर्तन हाथ से बनते थे।लेकिन बदले समय में कारीगर तो कम हैं,लेकिन गंगथ में कार्यरत करीब पांच भियों के कारीगरों द्वारा अपनी तैयार की गई बलटोही प्रदेश के साथ साथ बाहरी राज्यों के ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।

जोगिंदर पाल एंड सन के मालिक जोगिंदर पाल गंगथ और बलटोही कस्बे के पूरक शब्द हैं,जिससे कस्बा को एक नई पहचान के तौर पर जाना जाता है।चरोटी खरीदनी हो तो सबसे पहले गंगथ का बाजार ही जहन में आता है।यहां कारीगरों द्वारा निर्मित सामान का कहीं पर मुकाबला नहीं है।

अमन कुमार का कहना है यहां पर कारीगरों के हाथों बनी बलटोही और फिर उसमें बनाई गई धाम का जायका ही अपने आप में अनूठा है।बलटोही के लिए गंगथ बाजार ही क्षेत्र के ग्राहकों की पहली पसंद रहती है,कई जगहों के लोग यहां से आकर खरीददारी भी करते हैं।

कारोबारी विजय वधावन और लशविंदर वधावन का कहना है यहां पर तैयार हुई बलटोही को खरीदने के लिए नजदीकी क्षेत्र के ग्राहक तो आते ही हैं,बल्कि गंगथ की बलटोही सुदूर क्षेत्र के ग्राहकों को भी बहुत आकर्षित करती है।हमें गर्व है कि यहां के कस्बे को इस कारोबार की बड़ी पहचान मिली है।

इंदौरा विधानसभा की उपतहसील गंगथ में विराजमान सिद्ध पीठ श्री बाबा क्यालू महाराज का विशाल दंगल उत्तर भारत का एक महशूर विशाल दंगल है जो सदियों से होता आ रहा है इस दंगल में हिमाचल,पंजाल हरियाणा के साथ विदेशी पहलवान भी जौहर दिखाने पहुंचते हैंइस विशाल दंगल में ईनाम मे टैक्टर कार मोटर साईकल बल्टोहिया गागरे एवं लाखों के नगद पुरस्कार दिए जाएंगे,श्री बाबा क्यालू महाराज की लोगों में इतनी आस्था है कि जो लोग इस दरबार में मन्नतें मांगते हैं जब उनके मन्नतें पूरी हो जाती है तो वह दरबार में आकर उसकी अदायगी बर्तन व नगद राशी चढ़ाकर करते हैं

