उपायुक्त अनुपम कश्यप ने डॉ.मोनिका शांडिल
द्वारा लिखी पुस्तक “हिमाचली लोक नाट्य” का विमोचन किया,उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि हिमाचल प्रदेश अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और विविधता के लिए प्रसिद्ध है।यहां के लोक नाट्य न केवल हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं,बल्कि यह हमारे सामाजिक ताने-बाने और धार्मिक विश्वासों का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।प्रदेश की संस्कृति के विकास और उन्हें सहेजने के किताबों की अहम भूमिका होती है।डा मोनिका की लिखी हुई यह पुस्तक पाठकों को हिमाचल प्रदेश के लोक नाट्यों की समृद्ध परम्परा और इनके सामाजिक-धार्मिक दृष्टिकोण से अवगत कराने में मददगार साबित हो सकती है।डा मोनिका ने पत्रकारिता और जन संचार में पीएचडी की डिग्री हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से प्राप्त की है।इसके साथ ही यूजीसी नेट जेआरएफ की परीक्षा उत्तीर्ण कर चुकी हैं।शिक्षण अनुभव एवं शैक्षणिक क्षेत्र के अलावा,डॉ.मोनिका शांडिल को कैमरे के माध्यम से क्षणों को कैद करने में भी गहरी रुचि है।इससे पहले वह करयाला नामक पुस्तक प्रकाशन कर चुकी है।डा मोनिका ने बताया कि इस पुस्तक में हिमाचल प्रदेश में मंदिर और स्थानीय देवता का महत्व,लोक कला की धरोहर,लोकोत्सवों में पहाड़ी संस्कृति की झलक,लोक नाट्य एक मोहक और गतिशील लोक कला,समूह की साझेदारी और अभ्यास की जीवित परंपरा आदि का वर्णन किया गया है।इसके साथ ही भगत बांठड़ा,धाजा,करयाला की विस्तृत जानकारी भी है।

उन्होंने कहा कि पुस्तक में स्वाभाविक प्रतिभा और मनोरंजन का संगम,भारतीय लोक नाट्य में सूत्रधार की अहम भूमिका,कलाकारों का प्राकृतिक और सरल मेकअप,करयाला लोक नाट्य का पवित्र और प्राकृतिक मंच,हास्य और व्यंग्य का मंच,अभिव्यक्ति का एक शक्तिशाली माध्यम,मनोरंजन के माध्यम से जागरूकता पैदा करना,सामाजिक सुधार का एक माध्यम,धार्मिक, ऐतिहासिक और सामाजिक संदेशों का संगम,स्वांग और नक़ल (मिमिक्री)स्वांग में दर्शक की सक्रिय भागीदारी,मनोरंजन और सामाजिक मुद्दों पर व्यंग्य और करयाला में दर्शकों की सहभागिता के बारे प्रकाश डाला गया है।इस अवसर एडीएम प्रोटोकाल ज्योति राणा और सुरजीत कौर मौजूद रहीं।

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