Shimla:आपातकाल स्वतंत्र भारत के इतिहास में लोकतंत्र व राजनीति का कालाअध्याय था।पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने अपनी कुर्सी को बचाने के लिए देश में आपातकाल लगाकर लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की थी।उस समय नेताओं को बोलने व अखबारों को लिखने की आजादी नहीं थी।यानि कांग्रेस शासन के खिलाफ आवाज उठाने पर पूर्ण पाबंदी थी और आज उसी पार्टी के नेता लोकतंत्र की दुहाई दे रहे हैं।यह बात नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने रविवार को शिमला के उपनगर कसुम्पटी में भाजपा द्वारा आपातकाल के विरोध में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।आपातकाल के समय की याद करते हुए जयराम ने कहा कि रातोंरात 25 जून 1975 को आपातकाल लगा दिया तथा एक ही रात में हजारों की संख्या में लोगों को सलाखों के पीछे डाल दिया।देश में इंदिरा गांधी के खिलाफ माहौल था तथा देश में जगह-जगह आंदोलन हो रहे थे तथा इन आंदोलनों का केंद्र बिंदु भ्रष्टाचार ही था।हालांकि तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कई मंत्री आपातकाल लगाने के पक्ष में नहीं थे लेकिन इंदिरा गांधी ने सोचा था कि देश में कुछ समय तक ही लोग उनका विरोध करेंगे फिर चुप हो जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ तथा स्कूल व कालेज के कैंपस को जेल में बदल दिया था लेकिन विरोध ठंडा पड़ता न देख 19 माह के बाद चुनाव करवाए गए,जिसमें इंदिरा गांधी सहित कांग्रेस के बड़े नेता चुनाव हार गए। 

वर्तमान कांग्रेस आपातकाल की समर्थक।
जयराम ठाकुर ने कहा कि पूर्व सरकार ने लोकतंत्र की रक्षा करने के लिए आपातकाल के विरोध में जेल में रहे लोगों को सम्मान देने क लिए लोक प्रहरी योजना शुरू की थी।इसे विधानसभा से एक्ट पास कर शुरू किया था,जिससे लोकतंत्र प्रहरियों को थोड़ी सी सम्मान राशि देनी शुरू की थी,लेकिन वर्तमान कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही इसको रद्द करने का प्रस्ताव विधानसभा में लाया तथा विपक्ष के विरोध के बावजूद पारित कर दिया।अब यह राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया है। इससे साफ है कि कांग्रेस पार्टी के नेता आपातकाल को गलत नहीं मानते हैं।उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ भाजपा ने न्यायालय की शरण भी ली है।

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